प्रेम राग से हरी भरी ,रंगों की अठखेली है ,आओ रंग लगाये सबको ,बुरा ना मानो होली हैबच्चो की टोली , रंग रंगीली ,लहर लहर लहराती ,हाथो में पिचकारी ले ,सबको रंग लगाती ,गुब्बारों में पानी भरकर, लोगों को वो डराती ,खुलकर जी लें फिर से सब कुछ ,प्रेमानंद की डोली है ,आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मानो होली हैमोह्हले के चौराहों से ,फाग गीत जब गाते ,नगाड़ों की धमक धमक से ,बैर द्वेष मिट जाते ,एक सूत्र में पिरोती सबको , गजब निराली बोली है ,आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मानो होली है गुजिया का वो मधुर स्वाद , तरह तरह के भोग पकवान ,आते हैं अब बड़े याद, वो सब तो यंहा नहीं ,बस वही भांग की गोली है ,आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मनो होली है रंग नहीं चढ़ते जन पे, पुच धर्म और जाती ,ठंडी ठंडी ठंडाइ सबको ठंडक पहुंचाती ,क्यों हम व्यर्थ उलझे फिर , संकीर्ण विचारों की झोली में ,प्रेम रंग में रंग दे सबको , इस फागुन की होली में