Monday, July 20, 2009

"उत्तराखंड हमारा है"




"उत्तराखंड हमारा है"

देवभूमि के दर्द बहुत हैं,
किसी गाँव में जाकर देखो,
कैसा सन्नाटा पसरा है,
तुम बिन,
प्यारे उतराखन्ड्यौं,
अब तो तुम, गाँव भी नहीं जाते,
शहर लगते तुमको प्यारे,
जो उत्तराखंड से प्यार करेगा
पूरी दुनिया मैं उसको सम्मान मिलेगा
,

अकेला नहीं कहता है "धोनी",
शैल पुत्रों तुमने कर दी अनहोनी,
अन्न वहां का हमने खाया,
विमुख क्योँ हए,
ये हमें समझ नहीं आया,
लौटकर आयेंगे तेरी गोद में,
जब आये थे किया था वादा,
शहर भाए इतने हमको,
प्यारे लगते पहाड़ से ज्यादा,
उस पहाड़ के पुत्र हैं हम,
सीख लेकर कदम बढाया,
सपने भी साकार हए,
जो चाहे था, सब कुछ पाया,
दूरी क्योँ जन्मभूमि से,
ये अब तक समझ न आया,
हस्ती जो बन गए,
देवभूमि का सहारा है,
स्वीकार अगर न भी करे,
उसकी आँखों का तारा है,
उस माँ का सम्मान करना,
देखो कर्तब्य हमारा है,
मत भूलो, रखो रिश्ता,

''उत्तराखंड हमारा है''

2 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बिष्ट जी, आपका ही है उत्तराखंड ,
भुला, हमुन कबारी बोली कि उत्तराखंड हमारू च, हमारी त बस एक पोट्गी च पोट्गी, अर् ईं पोट्गी का खातिर हमुन सब कुछ छोडियाली !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बिष्ट जी, सर्वप्रथम तो आपसे निवेदन करूंगा कि आप अपने ब्लॉग को कोई नाम दीजिये ! रही बात उत्तराखंड से प्यार और पापी पेट के सवाल की तो, यही कहूंगा कि भुला, बहुत सी बाते है जो हमारे खुद के कंट्रोल मे नहीं रहती लेकिन हां हमें उससे लगाव जरूर रखना चाहिए जो हमें प्रिय है ! यही बात अपने उत्तराखंड के सम्बन्ध मे भी है और मेरी कोशिश हमेशा रहती है कि मैं अपनी जमीन से जुड़ा रहूँ ! आपसे निवेदन करूंगा कि थोडा बहुत मैं अपने उत्तराखंड से सम्बंधित साहित्य भी यदा कदा लिखता हूँ ! अगर आप उसमे इंटेरेस्ट रखते हो तो मेरे इस ब्लॉग पर पढ़ सकते है : http://gurugodiyal-pcg.blogspot.com

शुक्रिया !