"पहाड़ से पलायन"
थम नहीं रहा है सिलसिला,
जिसने पैदा कर दिया है,
पहाड़ पर सूनापन,
जिसकी शुरुआत हो चुकी थी,
भारत की आज़ादी से पहले,
उत्तराखण्ड की नदियों में,
बहते निर्मल नीर की तरह.
कभी परदेश से,
पलायन करते हुए,
पहाड़ पहुँचते थे,
प्रवासी पहाड़ियों के पत्र,
मेहनतानें का मन्याडर,
माता पिता के पास,
जिनकी नजर लगि रहती थी,
गाँव में आए डाकिये पर,
और रहती थी आस.
जब पहाड़ पर जीवन,
पहाड़ सा कठोर था,
तब मीलों पैदल चलकर,
आते जाते थे गाँव,
लेकिन,
आज क्यों ठहर गया सिलसिला?
यादों में बसकर.
जिनको आज भी,
प्रवास में रहते हुए,
पहाड़ के प्रति है प्यार,
जिन्होंने सुना, पहाड़ पर,
घुघती का गीत,
घाटियों में गूंजता शैल संगीत,
हिल्वांस की सुरीली आवाज,
बांसुरी पर बजती,
बेडू पाको बारमासा की धुन,
जिन्होंने देखा पहाड़ पर,
ऋतु बसंत, फ्योंली अर् बुरांश,
पंच बद्री, पंच केदार, पंच प्रयाग,
देवभूमि में चार धाम,
ले लो लौटने का संकल्प,
जन्मभूमि की गोद में,
चाहे, एक पर्यटक की तरह,
पलायन की पीड़ा से दूर.
--
Bisht G
थम नहीं रहा है सिलसिला,
जिसने पैदा कर दिया है,
पहाड़ पर सूनापन,
जिसकी शुरुआत हो चुकी थी,
भारत की आज़ादी से पहले,
उत्तराखण्ड की नदियों में,
बहते निर्मल नीर की तरह.
कभी परदेश से,
पलायन करते हुए,
पहाड़ पहुँचते थे,
प्रवासी पहाड़ियों के पत्र,
मेहनतानें का मन्याडर,
माता पिता के पास,
जिनकी नजर लगि रहती थी,
गाँव में आए डाकिये पर,
और रहती थी आस.
जब पहाड़ पर जीवन,
पहाड़ सा कठोर था,
तब मीलों पैदल चलकर,
आते जाते थे गाँव,
लेकिन,
आज क्यों ठहर गया सिलसिला?
यादों में बसकर.
जिनको आज भी,
प्रवास में रहते हुए,
पहाड़ के प्रति है प्यार,
जिन्होंने सुना, पहाड़ पर,
घुघती का गीत,
घाटियों में गूंजता शैल संगीत,
हिल्वांस की सुरीली आवाज,
बांसुरी पर बजती,
बेडू पाको बारमासा की धुन,
जिन्होंने देखा पहाड़ पर,
ऋतु बसंत, फ्योंली अर् बुरांश,
पंच बद्री, पंच केदार, पंच प्रयाग,
देवभूमि में चार धाम,
ले लो लौटने का संकल्प,
जन्मभूमि की गोद में,
चाहे, एक पर्यटक की तरह,
पलायन की पीड़ा से दूर.
--
Bisht G
6 comments:
Nice POem ji.Vase kis ki copy ki hai aap ne??????????????????????????????
bahut aachi hai aap ki kavita
कच्चापन होते हुए भी यह कविता दिल को छूती है. उत्तरांचल प्रवास की याद आ गयी. लिखते रहें. शुभकामनाएं
Bahut achha
Danyawaad dosto..
Harish bhulla, ju kuch bhi apan prayas kari, O sab dhanyawad ka patar chan. Apan kafi tarakki kari, e sab tumari mehnat ku phal cha, yani tarakki kareda rah. Tumahari Bhaiji
SHISH RAM UNIYAL
9811681660
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