Monday, June 29, 2009

घुट घुट बाडुली लगीं च


घुट घुट बाडुली लगीं च
मैत्यों कू रैबार आयूं च
भादों का मैना दुभ्री पाती कू त्यौहार आयूं च.!
कोदा झंगोरा की सार भी भरी गी होली
काखड़ी मूंगरी भी लगी गी होली
कब जौलू कब खौलू
मन माँ उलार आयूं च.!

बारे मासी काम द्यानियों नि छूटेंदु
बरसू का नक् कभी मैत नि जयेन्दु
मैना दू एक मैत रौलू
मन माँ विचार आयूं च .!

बरखा की रडी जड़ी माँ
घास पात का बण
घनघोर कुरेडी माँ
रोई रोई रण
बुझ्याँ बुब्दाल्यान मन माँ
आज यु प्यार आयूं च
घुट घुट बाडुली लगीं च
मैत्यों कू रैबार आयूं च ..!!

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