Thursday, July 2, 2009

माया बण्गे तेरी जी को जन्जाल


बौडी औ दग्डया हुवै गै बतेरी जगवाल
थामे नि थमैदो मन को उमाल
घास अर लाख्डू कान्डो का बोण
दिन डसदू सुर्म्यालो घाम रात डस्दी जोन
माया बण्गे तेरी जी को जन्जाल - बौडी औ------
सौन्ज्ड्यो दगड जब जान्दी दग्ड्याणी,
चैत्वाली बयार डाण्ड्यो जब रन्दी बयाणी
तिसू तिसू तिसि चोली जब कखी भट्याणी
दिल मा उठ्दी हूक मेरा कानू बज्दी धूयाल - बोडी औ
नथुली बुलाक झ्यूरी मेरी कन करोदा खौलि मेरी
जुडी दथी घास घ्सेरी सबि पुछ्दा बात तेरि
झ्ट्प्ट घर आवा कि मै तख बुलावा
नि कट्दु यखुलि बस्ग्याल --- बौडि औ

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