Thursday, June 18, 2009

उत्तराखंड लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय फलक पर कामयाबी का झंडा गाड़ने से चूका

देहरादून/रुद्रप्रयाग, मृगा सकलानी, टीवी शो डांसिंग क्वीन में अपने नृत्य के जलवे बिखेरती इस युवती को देख शायद ही कोई अंदाजा लगाए कि वह ऐसी जगह से आई है, जहां न तो सुविधाएं हैं और न ही माडलिंग जैसे करियर को प्रोत्साहन देने वाला कोई साथी। यह मृगा का जुनून ही था, जो उसे रुद्रप्रयाग के चोपता से मुंबई ले गया और पहुंचा दिया डांसिंग क्वीन के टॉप टू तक। भले ही मृगा शो में पहला स्थान प्राप्त न कर पाई हो, लेकिन उसने साबित कर दिया की पहाड़ की बेटी जो ठान ले, उसे पूरा करने से पीछे नहीं हटती। ढाई माह पूर्व जब कलर्स चैनल पर डांसिंग क्वीन की शुरुआत हुई थी तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि मृगा का सफर फाइनल तक पहुंचेगा, लेकिन मृगा ने अपनी मेहनत के बल पर खुद को साबित करके दिखा दिया। आज भले ही वह डांसिंग क्वीन का खिताब न जीत पाई हो, लेकिन उसके फ‌र्स्ट रनर अप बनने पर ही उत्तराखंडवासी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। रुद्रप्रयाग के एक छोटे से कस्बे चोपता में शिक्षक माता-पिता बीना और गोपालकृष्ण सकलानी के घर जन्मी मृगा बचपन से ही मायानगरी मुंबई जाने के सपने देखा करती थी। शांत मिजाज की मृगा ने छोटी उम्र से ही अपने सपने को पूरा करने की ठान ली थी। यही वजह है कि पिता के इंजीनियर बनाने की इच्छा के विपरीत उसने माडलिंग को करियर के तौर पर चुन लिया। इसके लिए उसने बीएससी की पढ़ाई भी अधूरी छोड़ दी। बेटी की ललक को देख माता-पिता ने भी उसे इजाजत दे दी और करीब चार साल पहले मृगा जा पहुंची मुंबई। मृगा की मां बीना सकलानी बताती हैं कि उसने जो मुकाम हासिल किया है उस पर वह बेहद गर्व महसूस करती हैं। आज वह पूरे देश में इस छोटे से क्षेत्र का नाम रोशन कर रही हैं। वह आगे कहती हैं कि मृगा के अंदर प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है, जिसका नतीजा सबके सामने है। वहीं, पिता गोपालकृष्ण सकलानी भी बेटी की सफलता पर बेहद खुश हैं। हालांकि, इलाके में कलर्स चैनल का प्रसारण न होना उन्हें काफी खला। वह कहते हैं, जिले के साथ ही राज्य के अधिकांश क्षेत्र में केबल डिस्क से कलर्स टीबी का प्रसारण न होने से ही उनकी बेटी को नुकसान हुआ। प्रसारण न होने से मृगा को अपेक्षा के अनुरूप वोटिंग नहीं हो सकी। हालांकि, उनका कहना था कि बेटी ने आज जो मुकाम हासिल किया वही उनके लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।pahar1.blogger.com उत्तराखंड लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय फलक पर कामयाबी का झंडा गाड़ने से चूका

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