Wednesday, August 5, 2009

''मेरु पहाड़ कन सुन्दर लगद,हिंवाली डांडी कांठियों का बीच मा''


मेरु पहाड़ कन सुन्दर लगद,हिंवाली डांडी कांठियों का बीच मा
स्वानी धरती यख कन सुन्दर लगदी मेरा गडवाल मा

शिधा साधा लोग रहेंदा जख देव भूमि गडवाल नूं च तक
छुटो -छुटो गदनी को पानी सुर-सुर हवा चलदी यख

टिहरी,चमोली,उत्तरकाशी,पोडी,रुद्रप्रयाग,कुमाओं,पिथोरागढ़ जिला छीन जख
मेरा सुन्दर पहाड़ का जिलों का नाम छीन ये तक

के जातियों का लोग रहेंदा मेरा पहाड़ मा जख
मीठी बोली भाषा एक रूप रंग का लोग रहेंदा तक

बन बनियाँ का फूल बनों मा हरियाली च जख
ये पहाड़ मा कनु सुन्दर नाम गडवाल च तक

बनूँ मा मिउली हिलांश काफू बस्दा जख
खुदेडू मन खुदी जान ये पहाड़ मा तक

बीर जवानों की धरती च ये पहाड़ मा जख
गबर सिंह जन वीर सिपाई पैदा वेन यख

देवी देवताओं की भूमि च ये पहाड़ मा यख
केदार बद्री यमनोत्री गंगोत्री चार धाम छीन जख

बणो मा बुरांश का फूल खेतों मा फ्योंली हंसनी च जख
कन सुन्दर लगदी फूलों की घाटी मेरा गडवाल मा तक

देश बिदेश मा रहेंदा मेरा गड्वाली भाई बंधो जक
न भुलियाँ ये देव भूमि गडवाल तक



जो भरा नहीं है भावौं से बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हिरदय नहीं पतथर है जिसको अपनें गडवाल से प्यार नहीं"
*जय भारत,जय उत्तराखंड,जय गड्वाल*

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