चौमास यानी पहाडो मे वर्षा ऋतू में जब धरती हरी भरी हो जाती उस पर यह गाना :ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे तीसाई धरती की तीस भुझे गे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे लस्कारी घस्यरी, घास को ज्ञानी बरखा, बतुयुनी मा उडियार लुकीनी रूजी गे दीदा पतरोल पहुची गे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे पैजेड़ बदीगे, कखेदी मुकोरी फोल्यार ल्ग्यान चिच्डा गुदेडीठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे
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