Thursday, May 14, 2009

उत्तराखंड के एक लोक गायक श्री प्रहलाद सिंह मेहरा


उत्तराखंड के एक लोक गायक श्री प्रहलाद सिंह मेहरा ने पहाड़ की महिलाओ की कठिन जीवन पर यह हिर्दय स्पर्शी गीत लिखा है :================================================पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले राति उठी, पोश गाड़ना पानी ले भरी लियूना बिना कलेवा रुवाटा, तिवीली जाण घास का मगनाबार बाजी तू घर आयी सासू के गाली पायी पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले भान माजी ले चूल लिपि ले फिर गोरु मुचूणा,गोरु का दगाड, ब्वारी तिवीली रित घर नी उणासूख लाकडा तोडी लाई, सासू की गाली पायी पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले अशौज में धान कटाना, चैत में ग्यू टीपनामंगसिर में तवील जाण, घास के मागनछय ऋतू बीत गयी, तेरी बुति पूरी नी भयीबार मास बीत गयी तेरी बुति पूर नी भयी पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले ................................

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