बहुत याद आदी है “दीदी” तुम्हारी मुझे “भाई” कहके बुलानावो मद्धम सा मुस्कुराना और वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाना,
समझना मेरी हर बात को और मुझे हर बात समझाना,वो लड़ना तेरा मुझसे और फिर प्यार जताना
बहुत याद आता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना,वो शाम ढले करना बातें मुझसे और अपनी हर बात मुझे बताना,
सुनके मेरी बेवकूफियां तुम्हारा ज़ोर से हंस जाना,मेरी हर गलती पे लगाना डांट और फिर उस डांट के बाद मुझे प्यार से समझाना
कोई और न होगा तुमसे प्यारा मुझे यह आज मैंने है जाना,वो राखी और भाई-दूज पे तुम्हारा टीका लगाना,
कुमकुम मैं डूबी ऊँगली से मेरा माथा सजाना,खिलाना मुझे मिठाई प्यार से और दिल से दुआ दे जाना,
बाँध के धागा कलाई पे मेरी अपने प्यार को जताना,कभी बन जाना माँ मेरी और कभी दोस्त बन जाना,
देना नसीहतें मुझे और हिदायतें दोहराना,जब छाये गम का अँधेरा तोः खुशी की किरण बनके आना,
हाँ तुम्ही से तोः सिखा है मैंने गम मैं मुस्कुराना,कहता है मन मेरा रहके दूर तुमसे मुझे अब एक लम्हा भी नही बिताना,
अब बस “गुड्डू” को तोः है अपनी “परी दीदी” के पास है जाना,हैं बहुत से एहसास दिल मैं समाये पता नही अब इन्हे कैसे है समझाना,
बस जान लो इतना “दीदी” बहुत याद आता है तुम्हारा “भाई” कहके बुलाना
समझना मेरी हर बात को और मुझे हर बात समझाना,वो लड़ना तेरा मुझसे और फिर प्यार जताना
बहुत याद आता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना,वो शाम ढले करना बातें मुझसे और अपनी हर बात मुझे बताना,
सुनके मेरी बेवकूफियां तुम्हारा ज़ोर से हंस जाना,मेरी हर गलती पे लगाना डांट और फिर उस डांट के बाद मुझे प्यार से समझाना
कोई और न होगा तुमसे प्यारा मुझे यह आज मैंने है जाना,वो राखी और भाई-दूज पे तुम्हारा टीका लगाना,
कुमकुम मैं डूबी ऊँगली से मेरा माथा सजाना,खिलाना मुझे मिठाई प्यार से और दिल से दुआ दे जाना,
बाँध के धागा कलाई पे मेरी अपने प्यार को जताना,कभी बन जाना माँ मेरी और कभी दोस्त बन जाना,
देना नसीहतें मुझे और हिदायतें दोहराना,जब छाये गम का अँधेरा तोः खुशी की किरण बनके आना,
हाँ तुम्ही से तोः सिखा है मैंने गम मैं मुस्कुराना,कहता है मन मेरा रहके दूर तुमसे मुझे अब एक लम्हा भी नही बिताना,
अब बस “गुड्डू” को तोः है अपनी “परी दीदी” के पास है जाना,हैं बहुत से एहसास दिल मैं समाये पता नही अब इन्हे कैसे है समझाना,
बस जान लो इतना “दीदी” बहुत याद आता है तुम्हारा “भाई” कहके बुलाना
3 comments:
हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ
कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर
HArish Bisht Ji, yeh Jo Kavita apne yahan post kari hai, kam se kam apko yahan pe poem likhne wale ka toh zikr karna chahiye................
is kavita ko maine hi likha hai....... Kripya karke, ap isay apne blog me na post karein aur gara aisa karein toh kam se kam likhne wale ke naam zarur dijiye.......
yeh raha meri likhi poem ka original link
http://nalin-mehra.blogspot.com/2008/11/blog-post_29.html
Nalin Mehra
HArish Bisht Ji, yeh Jo Kavita apne yahan post kari hai, kam se kam apko yahan pe poem likhne wale ka toh zikr karna chahiye................
is kavita ko maine hi likha hai....... Kripya karke, ap isay apne blog me na post karein aur gara aisa karein toh kam se kam likhne wale ke naam zarur dijiye.......
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Nalin Mehra
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