Thursday, May 14, 2009

Meru Pyaru Uttrakhand


तुम मांगते हो उत्तराखंड कहा से लांऊ?सूखने लगी गंगा, पिघलने लगा हिमालय!उत्तरकाशी है जख्मी, पिथौरागढ़ है घायल!बागेश्वर को है बेचेनी, पौडी मे है बगावत!कितना है दिल में दर्द, किस-किस को मैं दिखाऊ!तुम मांग रहे हो उत्तराखंड कहां से लांऊ?मडुवा, झंगोरे की फसलें भूल!खेतो मे जिरेनियम के फूल!गांव की धार मे रीसोर्ट बने!गांव के बीच मे स्वीमिंग पूल!कैसा विकास? क्यों घमंड?तुम मांगते हो उत्तराखण्ड??खडंजो से विकास की बातें,प्यासे दिन अँधेरी रातें,जातिवाद का जहर यहाँ,ठेकेदारी का कहर यहाँ,घुटन सी होती है आखिर कहां जांऊ?तुम मांगते हो उत्तराखण्ड कहां से लांऊ???वन कानूनों ने छीनी छांह,वन आबाद और बंजर गांव,खेतों की मेडें टूट गयी,बारानाजा संस्कृति छूट गयी,क्या गढ़वाल? क्या कुमाऊ?तुम मांग रहे हो उत्तराखण्ड कहां से लांऊ??लुप्त हुए स्वालंबी गांव,कहां गयी आंफर की छांव?हथोडे की ठक-ठक का साज,धोंकनी की गरमी का राज,रिंगाल के डाले और सूप,सैम्यो से बनती थी धूप,कहा गया ग्रामोद्योग?क्यों लगा पलायन का रोग?यही था क्या " म्योर उत्तराखण्ड" भाऊ?तुम मांगते हो उत्तराखण्ड कहां से लांऊ??हरेले के डिकारे, उत्तेरणी के घुगुत खोये!घी त्यार का घी खोया,सब खोकर बेसुध सोये!म्यूजियम में है उत्तराखण्ड चलो दिखांऊ!तुम मांगते हो उत्तराखण्ड कहा से लांऊ??

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