Thursday, May 14, 2009

उठ रे जटायुरावण ऎगो


अन्ध्यारा मा हिट्णु रौ सदानी आस मा बिन्सरी का गैणा की,खुट्टो अबत ऐ ग्याय रफत उन्दार उकाल सैणा की,आज तई जु रड्क्दी च जुकडी का कोणा मा,खेल बाळ्यो मा ध्ररी थै तस्वीर वी मैणा की,या बात और च कि मेरा हात कुछ नि लगे बाट्ण को त मैम ही ल्यै छा वू भरी कन्डी पैणा की /


उठ रे जटायुरावण ऎगो,त्वील हिम्मत करि बेररावण पर वार करौ।आज त कतुकै रावण हैं गयीकतूकै सीता चोरि हालींरावणौ फौज पैद हैगेकूंनी कि जब रावण पैद हूंनीजब कंस पैद हूनीजब राक्षस पैद हूंनीतब क्वे अवतार हूं कूंनी।पर घोर कलजुग ऎगोक्वे अवतार लीहूं तैयार नहांदेखंण में तो कतूकैअवतारी है गयीं।पर उं सब आपुंण’चेला’ बनौण रयींआपंण दुकान सजौंण रयीं।पैली अवतारीसब्बूं कै भल करछींउनाब त घर-घर मेंरोज अवतार हूंण रयींक्वे बाकर, क्वे कुकुड़क्वे बोतल मांगी बेरछाई-छाई पर्व दिंण रयीं।फिर ले समाज मेंलूंण जौ लागियै छूराक्षसों दगै लड़ै लिजिक्वे ले तैयार नीछू।राक्षसों कै देखि बेरयां मनखी मरि जांणीमनखियल आपुंणहाथ-खुट छोड़ि हाली।जटायु तू वीर छैत्वील रावण दगै लड़ै करीतू ली ले अवतारदिखै दे मनखी कैंआपुंण फर्जउठ रे जटायुतू ली सकछै अवतार॥

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