आज अचानक दिल ने दस्तक दी, पुरानी यादो को ताज़ा कर एक हवा दी, कहाँ से चले थे और कहाँ पहुँच गए,क्या सोचा और क्या कर गए?वादियों की गोद में जो बचपन बीता था,शहर की भीड़ में वो आज गुमनाम है, जिनसे बिछड़ने में कभी डर लगता था,आज उन्ही के लिए हम अनजान हैं, अपना प्रदेश छोड़ा , छोड़ी अपनी माटी,उनसे हम दूर हुए, जहाँ से सीखी परिपाटी, आज भावः विभोर मन उदास हो आया है,बीती यादो में आज अपना बचपन याद आया है, याद आता है वो बचपन जब पाटी पर लिखा करते थे,और बात बात पर रूठ कर माटी से लिपटा करते थे,बढ़ते बच्चे जब पड़ने लगे अ आ बाराखडी,फ़िर वही एक उदासी मन में आने लगी ,की पढ़ लिखकर जायेंगे कहाँ, और कहाँ करेंगे नौकरी,इसी सोच और पीड़ा ने न जाने कब बड़ा बना दिया,और गाँव की माटी ने परदेश के लिए विदा कर दिया,शहर के हालत भी देखे और देखि यहाँ की ज़िन्दगी,पर रस न आई वो बानगी और बन्दिगी,अब तो बस रह रह कर यही विचार आता है,की कब लौट चले अपने पहाडो पर, जो मेहनत की और पसीना बहाया है यहाँ पर, अपने मुल्क में जाकर उसी को बनाये अपना सहारा
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