कुछ रिश्ते होते हैं "हवाओं" की तरह, बनके "खुशबू" ज़िन्दगी मैं घुल जाया करते हैं, कुछ शख्स होते हैं "धुन" की तरह, बनके "ग़ज़ल" ज़िन्दगी सुरमई कर जाया करते हैं, जाने क्यूँ जब भी ज़िक्र होता है नाम का आपके, हम "ग़ज़ल" की "धुन" और "हवाओं" की "खुशबू" को महसूस कर जाया करते हैं.......
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