Tuesday, May 19, 2009

हिट भुला हाथ खुटा हला


हिट भुला हाथ खुटा हला, खाण कमाणै छि कलादेर पस्यो बगौणे जा, फुल खिलाला हरा-भरा, हरा-भरा..उठ गरिबी कु रोणु न रो, खूट त टेक खङ त होग्वाया लगैलि सारु खोजैली, कब तलक अब बडुत होहिट भुला हाथ खुटा हला, खाण कमाणै छि कलादेर पस्यो बगौणे जा, फुल खिलाला हरा-भरा, हरा-भरा..नि चलि कैकि नि चलिणि रे, मातबरु कि समिणि रेतौंकि छाया माया का निस, हमारि बिज्वाङ नि जमिणी रेहिट भुला हाथ खुटा हला, खाण कमाणै छि कलादेर पस्यो बगौणे जा, फुल खिलाला हरा-भरा, हरा-भरा..कर्ज पगाळि कि स्याणि नि कर, अपुङ भोळ गरिबि न धरराख विश्वास अफु फरें, कनि नि होंदि गुजर-बसरहिट भुला हाथ खुटा हला, खाण कमाणै छि कलादेर पस्यो बगौणे जा, फुल खिलाला हरा-भरा, हरा-भरा..क्येकु फंसे छ दुरमति मा, तमाखु दारु जुव्वा-पति मासैरा मुलुक कि आस छ त्वे पर, ज्वनि गवों न कत्ता मती माहिट भुला हाथ खुटा हला, खाण कमाणै छि कलादेर पस्यो बगौणे जा, फुल खिलाला हरा-भरा, हरा-भरा

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