Friday, May 15, 2009

बहुत याद आदी है “दीदी” तुम्हारी


बहुत याद आदी है “दीदी” तुम्हारी मुझे “भाई” कहके बुलानावो मद्धम सा मुस्कुराना और वो झूठ-मूठ का गुस्सा दिखाना,
समझना मेरी हर बात को और मुझे हर बात समझाना,वो लड़ना तेरा मुझसे और फिर प्यार जताना
बहुत याद आता है “दीदी” तुम्हारा मुझे “भाई” कहके बुलाना,वो शाम ढले करना बातें मुझसे और अपनी हर बात मुझे बताना,
सुनके मेरी बेवकूफियां तुम्हारा ज़ोर से हंस जाना,मेरी हर गलती पे लगाना डांट और फिर उस डांट के बाद मुझे प्यार से समझाना
कोई और न होगा तुमसे प्यारा मुझे यह आज मैंने है जाना,वो राखी और भाई-दूज पे तुम्हारा टीका लगाना,
कुमकुम मैं डूबी ऊँगली से मेरा माथा सजाना,खिलाना मुझे मिठाई प्यार से और दिल से दुआ दे जाना,
बाँध के धागा कलाई पे मेरी अपने प्यार को जताना,कभी बन जाना माँ मेरी और कभी दोस्त बन जाना,
देना नसीहतें मुझे और हिदायतें दोहराना,जब छाये गम का अँधेरा तोः खुशी की किरण बनके आना,
हाँ तुम्ही से तोः सिखा है मैंने गम मैं मुस्कुराना,कहता है मन मेरा रहके दूर तुमसे मुझे अब एक लम्हा भी नही बिताना,
अब बस “गुड्डू” को तोः है अपनी “परी दीदी” के पास है जाना,हैं बहुत से एहसास दिल मैं समाये पता नही अब इन्हे कैसे है समझाना,
बस जान लो इतना “दीदी” बहुत याद आता है तुम्हारा “भाई” कहके बुलाना

Thursday, May 14, 2009

Ghuguti ghuron lagi myara maeta ki


Ghuguti ghuron lagi myara maeta ki Baudi baudi aaye gi ritu, ritu chaet ki Dandi kanthiyon ko hue, gauli gae holu Myara maeta ko bon, mauli gae holu Chakula gholu chodi, udana hwala -2 Bethula maetuda ku, paetana hwala Ghuguti ghuron lagi hoooooo Ghuguti ghuron lagi myara maeta ki Baudi baudi aaye gi ritu, ritu chaet ki Ritu, ritu chaet ki, ritu, ritu chaet kiDandiyun khilana hola, burosi ka phoolPathiyun haisani holi, phyoli mol molKulari phulpaati leki, delhiyun delhiyun jaala -2Dagdya bhagyaan thadya, chaupala lagalaGhuguti ghuron lagi hooooooooooooooooooGhuguti ghuron lagi myara maeta ki Baudi baudi aaye gi ritu, ritu chaet kiRitu, ritu chaet ki, ritu, ritu chaet ki Tibari ma baithya hwala, Babaji udaas Batu heni holi Maaji, lagi holi saas Kab myara maeti auji, desa bhenti aala -2 Kab myara bhai behno ki raaji khushi lyala Ghuguti ghuron lagi hooo Ghuguti ghuron lagi myara maeta ki Baudi baudi aaye gi ritu, ritu chaet कीRitu, ritu chaet kiRitu, ritu chaet kiRitu, ritu chaet kiRitu, ritu chaet की

उत्तराखंड के एक लोक गायक श्री प्रहलाद सिंह मेहरा


उत्तराखंड के एक लोक गायक श्री प्रहलाद सिंह मेहरा ने पहाड़ की महिलाओ की कठिन जीवन पर यह हिर्दय स्पर्शी गीत लिखा है :================================================पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले राति उठी, पोश गाड़ना पानी ले भरी लियूना बिना कलेवा रुवाटा, तिवीली जाण घास का मगनाबार बाजी तू घर आयी सासू के गाली पायी पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले भान माजी ले चूल लिपि ले फिर गोरु मुचूणा,गोरु का दगाड, ब्वारी तिवीली रित घर नी उणासूख लाकडा तोडी लाई, सासू की गाली पायी पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले अशौज में धान कटाना, चैत में ग्यू टीपनामंगसिर में तवील जाण, घास के मागनछय ऋतू बीत गयी, तेरी बुति पूरी नी भयीबार मास बीत गयी तेरी बुति पूर नी भयी पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले कैभे नि खाया द्वि रुवाटा, सुख ले पहाड़ की चेली ले, पहाड़ की ब्वारी ले ................................

महिलाओ को कई कठिनाईयों के बारे में


दोस्तों उत्तराखंड के कई लोग गीतों मे यहाँ के महिलाओ के कठिन जीवन और दुःख का वर्णन है ! प्रकृति ने पहाड़ को जितनी सुन्दरता दी है लेकिन वही दूसरी तरफ यहाँ के लोगो के आम जिन्दगी भी बहुत की कठिनाई भरी है और खासतौर से महिलाओ के लिए ! एक तरफ पहाड़ के खेतो में कठिन मेहनत वही दूसरी तरफ पारिवारिक सुख से वंचित! जैसेकि यहाँ एक प्ररम्परा सी बनी है कि यहाँ के नवजवानों को नौकरी के पहाड़ छोड़ के बहार जाना होता है और महिलाओ को कई कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है जिसका कि हमारे लोक गीतों काफी वर्णन है! हम यहाँ पर एसे लोक गीतों के बारे में लिखेंगे !

रूम झूमाबरखा झुकी ऐगे डांडीयूँ कुयेडी छैगे

रुमझुमा रुमझुमा रुमझुमा रुमझुमारूम झूमा रूम झूमा रूम झूमारुमझुमा रुमझुमा रुमझुमा रुमझुमारूम झूमा रूम झूमा रूम झूमाबरखा झुकी ऐगे डांडीयूँ कुयेडी छैगे रूम झुमा रूम झुमाबिजली चम्कैगे हाय मन मेरु घबरैगे रूम झुमा रूम झुमाबरखा झुकी ऐगे डांडीयूँ कुयेडी छैगे रूम झुमा रूम झुमा-२रूम झुमा रूम झुमा हए रूम झुमा रूम झुमातन भिजिगे मन भिजिगे हए गोरु बदन भिजिगे-२ज्वानी की झकझोर मा छोरी, ज्वानी की झकझोर मा छोरीफ्योली जसी तू खिलिगेकालू बदल छैगे, सरू अंधेरु ह्वेगेकालू बदल छैगे हए सरू अंधेरु ह्वेगेरूमझुमा रूमझुमा-२रूम झुमा रूम झुमा हए रूम झुमा रूम झुमामेरा दिल कु चैन चलिगे आंख्युं की नींद उडिगे-२तेरी मेरी माया की डौंडी, तेरी मेरी माया की डौंडीसैरा गोंउ मा पिटिगेकनी आफत ऐगे, बदनामी ह्वेगेकनी आफत ऐगे हए बदनामी ह्वेगे हए रुमझुमा रुमझुमारूम झुमा रूम झुमा हए रूम झुमा रूम झुमासुध बुध हर्चिगे मेरी मीठी मीठी छुयुं मा तेरी-२सुप्न्यों मा एकी तुभी सुप्न्यों मा एकी तूभी त निंद उड़ानदी मेरीमन मगन ह्वेगे, तन अगन लैगेमन मगन ह्वेगे हए तन अगन लैगे हए रुमझुमा रुमझुमारूम झुमा रूम झुमा हए रूम झुमा रूम झुमाहए बरखा झुकी ऐगे डांडीयूँ कुयेडी छैगे रूम झुमा रूम झुमाहए रूम झूमा रूम झूमा हए रूम झूमा रूम झूमाहए रूम झूमा रूम झूमा हए रूम झूमा रूम झूमा

हे देवा तू दैण है जाए देवा हो


हे देवा तू दैण है जाए देवा होतू दैण है जाए देवा होभूमि का भूमिया देवा होभूमि का भूमिया देवा होजय जय देवा चितई गोलू सुन मेरी पुकारआस लगे बेर आयू तेरी दरबारजय जय देवा चितई गोलू सुन मेरी पुकारआस लगे बेर आयू तेरी दरबारदाणा गोल्ज्यू , भंडारी गोल्ज्यू, चितई गोल्ज्यू किरपा राखेनिर्धन कै तू धन दी छे, बाझँ कै दी संतान४ धाम में छे त्येर नाम, हाथ जोड़ी करू परनामजय जय देवा चितई गोलू सुन मेरी पुकारआस लगे बेर आयू तेरी दरबारदाणा गोल्ज्यू , भंडारी गोल्ज्यू, चितई गोल्ज्यू किरपा राखेजागीश्वर में छू जागनाथ, सारी दुनिया ल्थामी हातबागीश्वर में छू बाघनाथ, पवित्र छू सरयू की घाटजय जय देवा चितई गोलू सुन मेरी पुकारआस लगे बेर आयू तेरी दरबारदाणा गोल्ज्यू , भंडारी गोल्ज्यू, चितई गोल्ज्यू किरपा राखेदूनागिरी में छू दुर्गा माता, महा काली छू गंगोली हाटपांखू थल में कोटगारी माता, चंडी का धाम बसी छू घाटजय जय देवा चितई गोलू सुन मेरी पुकारआस लगे बेर आयू तेरी दरबारदाणा गोल्ज्यू , भंडारी गोल्ज्यू, चितई गोल्ज्यू किरपा राखेतेरी दरबार जो औनि देवा, उके मिल जानी तेरी मेवाअन्याय के नाश करी छे, न्याय को छो यो तेरी दरबारजय जय देवा चितई गोलू सुन मेरी पुकारआस लगे बेर आयू तेरी दरबारदाणा गोल्ज्यू , भंडारी गोल्ज्यू, चितई गोल्ज्यू किरपा राखे

बरखा हवेली बत्वानी होलू रै, छौया मन्दारों कु पाणी होलू रैजाली सुवा घासु का डांडीयों मा


बरखा हवेली बत्वानी होलू रै, छौया मन्दारों कु पाणी होलू रैजाली सुवा घासु का डांडीयों मा, मन विन्कू खुदेणु होलू रै !! धरयों खांदा मा चाकू कितलू, चुल्ला मा भावरानी च आग ! छन स्वामी परदेश मा देवतों, रख्या राजी तुमु मेरु सुहाग !!मेरी प्यारी उदास न होई ,मैं छुटी का अरज देणु छौं !लगदा मंगसीर का मैना,मेरी प्यारी मैं घोर ऑनु छौं !! लगी सौणकी कुरेडी रोला गदरियों मा ,हौंदु सिंस्याट ! घुट घुट लगदी च बडुली, दिल मा हौंदु धक् धक्द्याट !!!बौन पंछी , गाड गद्नियों ,मेरी प्यारी खुदेनं न देना !!होली घासु क जांई बाणु मा तुमु सौं छन वीं रौन न देना !!! सेवा सौंली, राजी खुसी अपणी तुमु फ़ोन मा दी दयान! बाटु देखुलू मंगसीर क मैना ,स्वामी घोर जरूर अयान !!प्यारी कन क्वे कटेला यी दीन,मेरु त्वेसी बिछाडाट करयों च !बाकि पर्देसू नौकरी क बानाघर गाँव गुठयार छोडीयूँ च !!!! पर्देसू मा अफु रयान , मेरा बाना नि मन झुराण! मैं जन्नी छुओं ,अपणाघोर मा स्वामी तुमु अपणु ख्याल रख्यान!!!सुवा तू अपणु ख्याल रख्यान , बरखा होली बत्वानी होलू रै चौया मंद्रों कु पाणी होलू रै!जाली सुवा घासु क डंडियों मा, मन विन्कू खुदेणु होलू रै !!!!

रूठी पकी जवादी चुना की

रूठी पकी जवादी चुना की , हरी बोला जी हरी बोला जी हरी बोला जी रूठी पकी जवादी चुना की , हरी बोला जी हरी बोला जी, हरी बोला जीचैत का महना , चोरी न कियां , चोरी की चीज न छुइयाँ -2प्यारु छ महना , बैसाख बिना , बीडी तम्बाखू धुवां कालू भैसू , कलेजू बैथालू , खांसी पडली भ्वेइआन हरी बोला जी, हरी बोला जीजेठ जेथैयाँ , दें छ धनदो , जब बांट बतियाँ -2महना अशाद , बात बिगाड़ , जी तेरी शादी न हियाँ हरी बोला जी, हरी बोला जीसौंण भी सौंण झादिकी लागौना , सुधि नि सेय्नु भ्वियाँ -2भाग भदैयां , काग बिरिया , भाई भैयुं मा चुईयाँ हरी बोला जी, हरी बोला जीअशौज असुज , तू रेहंदु बेबूझ , दिन हरी भजिया -2प्यारी छ रात , कार्तिक मॉस , कलि कमली ओढ़ना बिचैयाँ हरी बोला जी, हरी बोला जीआलू मंगसीर , रहनु धन्ग्सीर , उध्मतु न हियाँ -2पूष छ प्यारु , पीयान ना दारु , दारु दरोल्या ना हियाँ हरी बोला जी, हरी बोला जीमागु रे मागु , रांड को लागु , धर धरून न जियान -2देख्की की बहनी , महना फागुनी , धान कमानी नि लानी लगनी नि चुइयाँ हरी बोला जी, हरी बोला जीjiदा बोला हरी बोला जी, हरी बोला जी हरी बोला जी, हरी बोला जीहरी बोला जी, हरी बोला जी

डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास


चौमास यानी पहाडो मे वर्षा ऋतू में जब धरती हरी भरी हो जाती उस पर यह गाना :ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे तीसाई धरती की तीस भुझे गे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे लस्कारी घस्यरी, घास को ज्ञानी बरखा, बतुयुनी मा उडियार लुकीनी रूजी गे दीदा पतरोल पहुची गे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे पैजेड़ बदीगे, कखेदी मुकोरी फोल्यार ल्ग्यान चिच्डा गुदेडीठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे ठण्ड माठु चौमास, डाँडो में सौरिगे

चली बसंती बयार, आई फूलों मा फुलार-२भोंरा ली गेनी

चली बसंती बयार, आई फूलों मा फुलार-२भोंरा ली गेनी, भोंरा ली गेनी ली गेनी भोंरा हो..भोंरा ली गेनी फुलूं कु रश चोरी किरंग रंगीली, रंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली होरी है रंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली हो रंग रंगीली(च..)फागुन चैत कु त्यौहार, आन्दु रैंया बार बार-२गैल्या संग खेला रंग, खेला रंग खेला हो गैल्या संग खेला रंग ज्यू भोरी कि रंग रंगीली, रंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली होरी हैरंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली हो रंग रंगीली(च..) ऐजा आज अपड़ा हथुन ओ ओ, अभीर गुलाल लगैजाहो ओ ओ अभीर गुलाल लगैजाझणी अब फिर कब होंदी भेंट, सम्लोंया चदरी रन्गै जा ऐंसू कि होरी मा हो ओ ओ सम्लोंया चदरी रन्गै जाऐजा आंख्युं मा समैजा गैल्या होऐजा आंख्युं मा समैजा प्रीत जोड़ी कि रंग रंगीली रंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली-2 हो रंग रंगीली (च..)ज्यू बोनु च प्रेम का रंगून, तेरी कोरी जिकुड़ी रन्गै दयों हो ओ ओ तेरी कोरी जिकुड़ी रन्गै दयों लाल बुरांसी का फुलूंन, तेरी स्युन्द पाटी सजै दयों ऐंसू कि होरी मा तेरी स्युन्द पाटी सजै दयों देदयुं देदयुं सैरी जिंदगी होओओ, देदयुं देदयुं सैरी जिंदगी निचोडी कि रंग रंगीली रंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली-2 (च..)हो रंग रंगीली रंग रंगीली बहार ऐगे होरी कि रंग रंगीली-2 (च..)हो रंग रंगीली

घुघूती ना बासा, आम की डाई माघुघूती ना बासा

चम चमा चम् चमकी घाम काटी माँ हिमाली काटी चांदी के बनी गैनी ,शिव का कैलाश गाय घाम पेली -२ सेवा लागुअनी आयी बदरी का धामा चम चमा चम् चमकी घाम काटी माँ
घुघूती ना बासा, आम की डाई माघुघूती ना बासा,... तेरी घुर -२ सुनी मै लागो उदास स्वामी परदेश बर्फीलो लड़दागघुघूती ना बासा,...घुघूती ना बासा, आम की डाई माघुघूती ना बासा,... ऋतू का भंगी बनी गरमी चैत याद मीके बहुत आगे आपुन स्वामी की घुघूती ना बासा, आम की डाई माघुघूती ना बासा,... उड़ जाओ घुघुत जी नाही जाओ लड़दाग हाल मेरो बता दियो मेरो स्वामी पास घुघूती ना बासा, आम की डाई माघुघूती ना बासा,...

आम की डाई मा घुघुती नी वासा

आम की डाई मा घुघुती नी वासा -२ घुघुती नी वासा आ आ - २तेरी घुरू घुरू सुनी मैं लागु निराशा याद मइके बहुत एअगे अपुनू मैत कीघुघुती नी वासा

very famous one of Gopal Babu Goswami ji'sHai teri rumala, yo gulabi mukhadiKae bhali cha ji re, naake ki nathuliHai teri rumalaHai teri rumala, yo gulabi mukhadiKae bhali cha ji re, naake ki nathuliTeri kae bhali cha ji re, naake ki nathuliHai teri rumalaHai teri rumala, gulabi mukhadiKae bhali cha ji re, naake ki nathuliTeri kae bhali cha ji re, naake ki nathuliHai teri rumalaGawein galobanda, hathon ki thakuli -2Cham cham chamki re, kapahi binduli -2Hai teri rumalaHai teri rumala, gulabi mukhadiKae bhali cha ji re, naake ki nathuli -2Hai teri rumalaSani re ghaghare, makhmali angadi -2Kae bhali cha ji re rangeeli pichodi -2Hai teri rumalaHai teri rumala, gulabi mukhadiKae bhali cha ji re, naake ki nathuli -2Hai teri rumalaTeri gawwein jangeera, hathon mein paunjiya -2Chann chann channkani haathun chudiyaan -2Hai teri rumalaHai teri rumala, gulabi mukhadiKae bhali cha ji re, naake ki nathuli -2Hai teri rumala

उठ रे जटायुरावण ऎगो


अन्ध्यारा मा हिट्णु रौ सदानी आस मा बिन्सरी का गैणा की,खुट्टो अबत ऐ ग्याय रफत उन्दार उकाल सैणा की,आज तई जु रड्क्दी च जुकडी का कोणा मा,खेल बाळ्यो मा ध्ररी थै तस्वीर वी मैणा की,या बात और च कि मेरा हात कुछ नि लगे बाट्ण को त मैम ही ल्यै छा वू भरी कन्डी पैणा की /


उठ रे जटायुरावण ऎगो,त्वील हिम्मत करि बेररावण पर वार करौ।आज त कतुकै रावण हैं गयीकतूकै सीता चोरि हालींरावणौ फौज पैद हैगेकूंनी कि जब रावण पैद हूंनीजब कंस पैद हूनीजब राक्षस पैद हूंनीतब क्वे अवतार हूं कूंनी।पर घोर कलजुग ऎगोक्वे अवतार लीहूं तैयार नहांदेखंण में तो कतूकैअवतारी है गयीं।पर उं सब आपुंण’चेला’ बनौण रयींआपंण दुकान सजौंण रयीं।पैली अवतारीसब्बूं कै भल करछींउनाब त घर-घर मेंरोज अवतार हूंण रयींक्वे बाकर, क्वे कुकुड़क्वे बोतल मांगी बेरछाई-छाई पर्व दिंण रयीं।फिर ले समाज मेंलूंण जौ लागियै छूराक्षसों दगै लड़ै लिजिक्वे ले तैयार नीछू।राक्षसों कै देखि बेरयां मनखी मरि जांणीमनखियल आपुंणहाथ-खुट छोड़ि हाली।जटायु तू वीर छैत्वील रावण दगै लड़ै करीतू ली ले अवतारदिखै दे मनखी कैंआपुंण फर्जउठ रे जटायुतू ली सकछै अवतार॥

वह माँ कहकर आई थी अभी आती हूँ ज...ल्दी बस्स.....तेरे लिए,


जाते समय झार पर छोड़ आई थी,वह माँ कहकर आई थी अभी आती हूँ ज...ल्दी बस्स.....तेरे लिए, एक नई जमीन,एक नई हवा, नया पानी ले आऊं ले आऊं नई फसल, नया सूरज, नई रोटी अब्बी आई....बस्स पास के गांधी-चारे तक ही तो जाना है,झल्लूस में चलते समय एक नन्ही हथेली, उठी होगी हवा में- विदा ! मां विदा!! खुशी दमकी होगी,दोनो के चेहरे पर माथा चूमा होगा मां ने- उन होठो से, जिनसे निकल रहे थे नारे वह मां सोई पडी़ है सड़क पर पत्थर होंठ है,पत्थर हाथ पैर पथराई आँखे पहाडों की रानी को, पहाड़ देखता है अवा्क - चीड़ देवदार, बाँज -बुराँस, खडें हैसन्न- आग लगी है आज.आदमी के दिलो में खूब रोया दिन भर बादल रखकर सिर पहाड़ के कन्धे पर नही जले चूल्हे, गांव घरो में उठा धुआ उदास है खिलखिलाते बच्चे, उदास है फूल वह बेटा भी रो-रोकरसो गया है- अभी नही लौटी मां...... लौटेगी तो मैं नही बोलूंगा लौटी क्यों नही अभी तक....! उसे क्या पता, बहरे लोकतन्त्र में वह लेने गई है,अपने राजा बेटे का भविष्य
जाते समय झार पर छोड़ आई थी,वह माँ कहकर आई थी अभी आती हूँ ज...ल्दी बस्स.....तेरे लिए, एक नई जमीन,एक नई हवा, नया पानी ले आऊं ले आऊं नई फसल, नया सूरज, नई रोटी अब्बी आई....बस्स पास के गांधी-चारे तक ही तो जाना है,झल्लूस में चलते समय एक नन्ही हथेली, उठी होगी हवा में- विदा ! मां विदा!! खुशी दमकी होगी,दोनो के चेहरे पर माथा चूमा होगा मां ने- उन होठो से, जिनसे निकल रहे थे नारे वह मां सोई पडी़ है सड़क पर पत्थर होंठ है,पत्थर हाथ पैर पथराई आँखे पहाडों की रानी को, पहाड़ देखता है अवा्क - चीड़ देवदार, बाँज -बुराँस, खडें हैसन्न- आग लगी है आज.आदमी के दिलो में खूब रोया दिन भर बादल रखकर सिर पहाड़ के कन्धे पर नही जले चूल्हे, गांव घरो में उठा धुआ उदास है खिलखिलाते बच्चे, उदास है फूल वह बेटा भी रो-रोकरसो गया है- अभी नही लौटी मां...... लौटेगी तो मैं नही बोलूंगा लौटी क्यों नही अभी तक....! उसे क्या पता, बहरे लोकतन्त्र में वह लेने गई है,अपने राजा बेटे का भविष्य

ज...य ..उ..त्त..रा...खण्ड


सीमा पर जो नही आ सके अचूक निशाने की जद़ मेनही आ सके जो मिसाइलों -टैंकों और राँकेटो की रेंज मे,वे आ गये बिना निशाना सधी गोलियो की चपेट मेंजो देश कि सीमा पर मुस्तैदी से रहे तैनात,मार गिराया जिन्होने न जाने कितने दुश्मनो को,वो काम आ गये अपनी ही जमीन परअपने ही लोगो के बीच निहत्थे थेअस्मिता की तलाश मे निकले,मुटिठ्या तनी थी,जिसमे थी इच्छायें,इच्छाओ से पटी थी आग,आग से जले थे शब्द,और उन शब्दो से डरा हुआ था तानाशांह,एक जद के खिलाफ निहत्थे खडे़ थेहजारो के बीच वे तीन या तेरह,पांच या सात,और इस जिद के खिलाफगिरते-गिरते भी उन्होनेअपने खून से लिख दिया ज...य ..उ..त्त..रा...खण्ड

आपण मुलूक


अब त समय यो सेण को नी छ.तजा यो मोह निद्रा कू. अजौ तैं जो पडी़ ही छ
अलो! आपण मुलूक की यों छुटावा दीर्घ निद्रा कूँ,सिरा का तुम इनी गहैरी खडा़ माँ जीन गिरा यालै
आहे! तुम भैर त देखा, कभी से लोक जाग्याँ छन,जरा सी आँख त खोला,कनो अब घाम चमक्यूँ छपुराणा वीर व ऋषियों का भला वतान्त कू देखा,छयाई उँ बडौ की ही सभी सन्तान तुम भी त
स्वदेशी गीत कू एक दम गुँजावा स्वर्ग तैं भायों,भला छौंरु कसालू की कभी तुम कू कमी नी छ
बजावा ढोल रणसिंघा,सजावा थौल कू सारा,दिखावा देश वीरत्व भरी पूरी सभा बीच
उठाला देश का देवतौं साणी,बांका भड़ कू भी,पुकारा जोर से भ्यौ घणा मंडाण का बीचकरा प्यारो !
करा तुम त लगा उदोग माँ भायों,किलै तुम सुस्त सा बैठयों छयाई औरक्या नी छ
करा संकल्प कू सच्चा, भरा अब जोश दिल माँ तुम,अखाडा़ माँ बणा तुम सिंह,गर्जा देश का बीच
बजावा सत्य को डंका सबू का द्धार पर जैकभगवा दुःख दारिद्रय करा शिक्षा भली जो छ
अगर चाहयैंत हवै सकदैं धनी विद्धान बलधारी,भली सरकार की छाया मिंजे तुम कू कमी क्या छ
जागो मेरा लाल

हँसते खेलते बांटते थे अपना अमनो चैन



पीडा
आज की शाम
वो शाम थी
जिसके आगोश में अपने पराये
हँसते खेलते बांटते थे अपना अमनो चैन
दुख दर्द , कल के सपने !
घर की दहलीज़ पर देती दस्तख
आज की सांझ ,वो सांझ थी ... आज की

दूर छितिज पर ढलती लालिमा
आज सिन्दूरी रंग की अपेक्षा
कुछ ज्यादा ही गाडी लाल रेखाएं देखाई दे रही थी
उस के इस रंग में बदनीयती की बू रही थी
जो अहसाश दिला रही थी
दिन के कत्ल होने का ?
आज की फिज़ा ,वो फिज़ा थी .... आज की शाम

चौक से जाती गलियां
उदास थी ...
गुजरता मोड़ ,
गुमसुम था
खेत की मेंड भी
गमगीन थी
शहर का कुत्ता भी चुप था
ये शहर , आज वो शहर था ... आज की शाम

धमाकों के साथ चीखते स्वर
सहारों की तलाश में भटकते
लहू में सने हाथ ......
अफरा तफरी में भागते गिरते लोग
ये रौनकी बाजार पल में शमसान बनगया
यहां पर पहिले एसा मौहोल तो कभी था
ये क्या होगया ? किसके नजर लग गयी ... आज की शाम

बरसों साथ रहने का वायदा
पल में टूटा
कभी जुदा होनेवाला हाथ
हाथ छुटा
सपनो की लड़ी बिखरी
सपना टूटा
देखते देखते भाई से बिछुड़ी बहिना
बाप से जुदा हुआ बेटा
कई मां की गोदे हुई खाली
कई सुहागिनों का सिन्दूर लुटा
शान्ति के इस शहर में किसने ये आग लगाई
ये कौन है ? मुझे बी तो बताऊ भाई ... ! ... आज

पराशर गौर
कनाडा १५ सितम्बर २००८ श्याम बजे

देवभूमि "उत्तराखंड"


"उत्तराखंड"पवित्र देवभूमि पौराणिक है,नाम है उत्तराखंड,"उत्तरापथ" और "केदारखण्ड"मिलकर बना उत्तराखंड.शिवजी का निवास यहाँ,बद्री विशाल का धाम,पंच बद्री-केदार और पर्याग,प्रसिद्ध है नाम.गंगा, यमुना का उदगम् यहाँ,ऊंची-ऊंची बर्फीली चोटी,चौखम्बा, पंचाचूली, त्रिशूली,प्रसिद्ध है नंदा घूंटी.गले मैं नदियों की माला,सिर पर हिमालय का ताज,बदन में वनों के वस्त्र,उत्तराखंड पर हम को नाज. मनमोहक हैं फूलों की घाटी,विस्तृत हैं बुग्याल,मन को मोह लेते हैं,जल से भरे ताल.नदी घाटियाँ खूबसूरत है,देवताओं का वास,तभी तो "मेघदूत" लिख गए,महाकवि "कालिदास".वीर-भडों की भूमि है,किया जिन्होंने बलिदान,उनको कितना प्रेम था,किया मान सम्मान.उत्तराखंड का प्रवेश द्वार, पवित्र है हरिद्वार,पुणय पावन नगरी,जहाँ होती जय-जयकार.कितनी सुन्दर देव-भूमि, देखूं उड़कर आकाश से,नदी पर्वतों को निहारूं,जाकर बिल्कुल पास से. जन्मभूमि है हमारी,हैं हमारे कैसे भाग,कहती है उत्तराखंडियों को,शैल पुत्रों जाग.

Meru Pyaru Uttrakhand


तुम मांगते हो उत्तराखंड कहा से लांऊ?सूखने लगी गंगा, पिघलने लगा हिमालय!उत्तरकाशी है जख्मी, पिथौरागढ़ है घायल!बागेश्वर को है बेचेनी, पौडी मे है बगावत!कितना है दिल में दर्द, किस-किस को मैं दिखाऊ!तुम मांग रहे हो उत्तराखंड कहां से लांऊ?मडुवा, झंगोरे की फसलें भूल!खेतो मे जिरेनियम के फूल!गांव की धार मे रीसोर्ट बने!गांव के बीच मे स्वीमिंग पूल!कैसा विकास? क्यों घमंड?तुम मांगते हो उत्तराखण्ड??खडंजो से विकास की बातें,प्यासे दिन अँधेरी रातें,जातिवाद का जहर यहाँ,ठेकेदारी का कहर यहाँ,घुटन सी होती है आखिर कहां जांऊ?तुम मांगते हो उत्तराखण्ड कहां से लांऊ???वन कानूनों ने छीनी छांह,वन आबाद और बंजर गांव,खेतों की मेडें टूट गयी,बारानाजा संस्कृति छूट गयी,क्या गढ़वाल? क्या कुमाऊ?तुम मांग रहे हो उत्तराखण्ड कहां से लांऊ??लुप्त हुए स्वालंबी गांव,कहां गयी आंफर की छांव?हथोडे की ठक-ठक का साज,धोंकनी की गरमी का राज,रिंगाल के डाले और सूप,सैम्यो से बनती थी धूप,कहा गया ग्रामोद्योग?क्यों लगा पलायन का रोग?यही था क्या " म्योर उत्तराखण्ड" भाऊ?तुम मांगते हो उत्तराखण्ड कहां से लांऊ??हरेले के डिकारे, उत्तेरणी के घुगुत खोये!घी त्यार का घी खोया,सब खोकर बेसुध सोये!म्यूजियम में है उत्तराखण्ड चलो दिखांऊ!तुम मांगते हो उत्तराखण्ड कहा से लांऊ??