Thursday, August 6, 2009

''काला डांडा के पीछे बाबा जी काली च कुएड़ी''


काला डांडा के पीछे बाबा जी
काली च कुएड़ी
बाबाजी, एकुली मैं लगड़ी च ड..र
एकुली-एकुली मैं कनु कैकी जौलो

भावार्थ
एक लड़की अपने ससुराल जा रही है!
लेकीन उसका मन गबरा रही है !
और वो मन ही मन में कुछ इस तरह सोच रही है.........

--' काले पहाड़ के पीछे, पिताजी!
काला कुहरा छा रहा है ।
पिताजी, मुझे अकेले में डर लगता है ।
अकेले-अकेले मैं ससुराल कैसे जाऊंगी ?

''नंदा देवी राज जात''

जय जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलास की जय
जय जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलास की जय
जय बोला तेरु चौसिंग्या खाडू, तेरी छंतोळी रिंगाळ की जय
जय बोला तेरु चौसिंग्या खाडू, तेरी छंतोळी रिंगाळ की जय
जय जय बोला.......



काली कुलसारी की, देवी उफरांई की...
नंदा राज राजेश्वरी...
बगोली का लाटू की, हीत बिणेसर की
नंदा राज राजेश्वरी...
बीड़ा बधाण की, जमन सिंह जदोड़ा की, कांसुआ कुवंरुं की....
नंदा राज राजेश्वरी...
जय जय बोला, माता मैणावती, तेरा पिताजी हेमंता की जय...
जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलासा की जय...
जय बोला.....


नौटी का नौट्याळूं की, सेम का सेम्वाळूं की...
नंदा राज राजेश्वरी...
देवल का देवळ्यूं की, नूना का नवान्यूं की...
नंदा राज राजेश्वरी...
देवी नंदकेसरी की, छैकुड़ा का सत्यूं की, बाराटोकी बमणूं की...
नंदा राज राजेश्वरी...
जय जय बोला दशम द्वार डोली, डोली कुरुड़ हिंडोली की जय...
जय बोला जय भगोती नंदा, नंदा उंचा कैलासा की जय...
जय बोला....


डिमर का डिमर्यूं की, मलेथा मलेथ्यूं की...
नंदा राज राजेश्वरी....
तोती का ड्यूंड्यूं की, खंडूड़ा खंडूड़्यूं की...
नंदा राज राजेश्वरी....
नैणी का नैन्वळ्यूं की, गैरोळा थपल्यळ्यूं की, चेपड़्यूं का थोकदारूं की...
नंदा राज राजेश्वरी...
जय जय बोला हीत घंड्याळ, तेरा न्योज्यां निसाण की जय....
जय बोला जय भगोती नंदा. नंदा उंचा कैलासा की जय...
जय बोला

लाता की मल्यारी की, शैलेसर बनोली की...
नंदा राज राजेश्वरी....
मनोड़ा मनोड्यूं की, देवराड़ा देवरड्यूं की..
नंदा राज राजेश्वरी....
चमोळी कंड्वळूं की, चौदा सयाणों की, द्यो सिंह भौ सिंह की...
नंदा राज राजेश्वरी...
जय जय बोला तांबा का पतार, तेरा रिंगदा छतारा की जय....
जय बोला जय भगोती नंदा. नंदा उंचा कैलासा की जय...
जय बोला


नैनीताल अल्मोड़ा की, रणचूला बैजनाथ की...
नंदा राज राजेश्वरी....
कोटमाई डंगोली की, दानपुर सनेती की...
नंदा राज राजेश्वरी....
बदिया बागेसुर की, मारत्वोली जोहार की, छलमिलम मकाया की...
नंदा राज राजेश्वरी...
जय जय बोला ईष्ट देवी नंदा, नंदा कुमौ गढ़्वाळ की जय...
जय बोला जय भगोती नंदा. नंदा उंचा कैलासा की जय...

जय बोला....

''भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं''

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...
भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...
बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं..
भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...
भटकणू छौं स्वर्ग मां.....


ग्वाळा पैथर ग्वाया लैकी पौंछी ग्यौं परदेस मां...

पौंछी ग्यौं परदेस मां...
ग्वाळा पैथर ग्वाया लैकी पौंछी ग्यौं परदेस मां...

पौंछी ग्यौं परदेस मां...
बीड़ छौ मैं पर्बतूं जांठू खोज्याणू छौं... दिदौं...
बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं... भटकणू छौं स्वर्ग मां.....


कखड़ी मुंगरी खाजा बुखणा अब नि औंदिन गौं बिटी ... अब नि औंदिन गौं बटी...
कखड़ी मुंगरी खाजा बुखणा अब नि औंदिन गौं बिटी... अब नि औंदिन गौं बटी...
मेरु बि हक छौ यूं फरैं बांठू खोज्याणू छौं... दिदौं...
बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं... भटकणू छौं स्वर्ग मां.....


डांडा कांठौं का भट्यौणम, गै त छौ घर बौड़ी की... गै त छौ घर बौड़ी की...
डांडा कांठौं का भट्यौणम, गै त छौ घर बौड़ी की... गै त छौ घर बौड़ी की...
रीति सूनी तिबार्यूं मां नातू खोज्याणू रौं... दिदौं...
भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...
बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं..
भटकणू छौं स्वर्ग मां...

****************

''बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश''


बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश.....

वीर भड़ु की भूमि,प्यारु गढ़देश,
देवभूमि तपोभूमि,जख ब्रह्मा विष्णु महेश.
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश.....

बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
जख राज करिग्यन,गढ़वाल नरेश,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश...

बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
जौनसारी, गढ़वाली बोलि,रौ रिवाज, परिवेश,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश...

बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
बांज, बुरांश, देवदार,डाडंयौं मा ढेस,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश...

बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
जख नाचदा देवता,भूत अर् खबेस,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश...

बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
देवतों का धाम,हरिद्वार ढेस,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश..

बावन गढ़ु कू,प्यारु गढ़देश,
गंगा यमुना कू मैत,वीर भड़ु कू देश,
जुग-जुग राजि रखि,खोळि का गणेश,
हे खोळि का गणेश..

2.हळ्या दिदा का मन मा लगिं छ,
हौळ लगाण की झौळ,कथ्गै मौ कू हौळ लगाण,
ऊठणि छ मन मा बौळ.

बल्दु की जोड़ी हळ्या गौं मा,
खोजिक छन द्वी चार,
सैडा गौं कू हौळ लगान्दा,
मुलाजु या लाचार.

कथ्गै मौ की पुंगड़ी बांजी,हौळ भी कैन लगाण,
हल्यौं कु अकाळ होयुं छ,कैन बोण आर बाण.

हल्सुंगी ढ़गड्याण लगिं छ,पड़नी छन ढळ डामर,
हळ्या दिदा तंगत्याण लग्युं छ,जन हो ज्युकड़ी मा जर.

हळ्या का मन मा कपट निछ,मन मा छ हौळ की झौळ,
सुबर ब्याखना हौळ लगैक,ऊठण लगिं छ बौळ.

हळ्या दिदा सोच्दु छ मन मा,दग्ड़या मेरा सैरू बाजारू मा,
मैं बंण्यु छौं हळ्या,गौं वाळौं मैं जु चलि जौलु,
गौं छोड़िक दूर देश,चुचौं! तब तुम क्या कल्या.

बल्द हर्चिगिन, हळ्या भि हर्चला,
देखण लग्युं छ "जिग्यांसु",
पुंगड़्यौं मा कबरी हौळ लगै थौ,
आज औणा छन आँसू.......

Wednesday, August 5, 2009

''मेरु पहाड़ कन सुन्दर लगद,हिंवाली डांडी कांठियों का बीच मा''


मेरु पहाड़ कन सुन्दर लगद,हिंवाली डांडी कांठियों का बीच मा
स्वानी धरती यख कन सुन्दर लगदी मेरा गडवाल मा

शिधा साधा लोग रहेंदा जख देव भूमि गडवाल नूं च तक
छुटो -छुटो गदनी को पानी सुर-सुर हवा चलदी यख

टिहरी,चमोली,उत्तरकाशी,पोडी,रुद्रप्रयाग,कुमाओं,पिथोरागढ़ जिला छीन जख
मेरा सुन्दर पहाड़ का जिलों का नाम छीन ये तक

के जातियों का लोग रहेंदा मेरा पहाड़ मा जख
मीठी बोली भाषा एक रूप रंग का लोग रहेंदा तक

बन बनियाँ का फूल बनों मा हरियाली च जख
ये पहाड़ मा कनु सुन्दर नाम गडवाल च तक

बनूँ मा मिउली हिलांश काफू बस्दा जख
खुदेडू मन खुदी जान ये पहाड़ मा तक

बीर जवानों की धरती च ये पहाड़ मा जख
गबर सिंह जन वीर सिपाई पैदा वेन यख

देवी देवताओं की भूमि च ये पहाड़ मा यख
केदार बद्री यमनोत्री गंगोत्री चार धाम छीन जख

बणो मा बुरांश का फूल खेतों मा फ्योंली हंसनी च जख
कन सुन्दर लगदी फूलों की घाटी मेरा गडवाल मा तक

देश बिदेश मा रहेंदा मेरा गड्वाली भाई बंधो जक
न भुलियाँ ये देव भूमि गडवाल तक



जो भरा नहीं है भावौं से बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हिरदय नहीं पतथर है जिसको अपनें गडवाल से प्यार नहीं"
*जय भारत,जय उत्तराखंड,जय गड्वाल*

''अबकी बार राखी में जरुर घर आना''


''अबकी बार राखी में जरुर घर आना''

राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहिना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
न चाहती धन-दौलत न कोई गहना
आकर पास बैठ, दो बोल मीठे सुनाना
अब न बनाना फिर से कोई बहाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

गाँव के खेत-खलियान तुम्हें बुलाते हैं
कभी खेले-कूदे अब क्यों भूले कहते हैं
जरा अपना बचपन का स्कूल देखते जाना
अपने बचपन के दिनों को याद करना
भूले-बिसरे साथियों की सुध लेते जाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहिना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

गाँव-घर छोड़ अब तू परदेश जा बसा है
बिन तेरे घर अपना सूना-सूना पड़ा है
बूढ़ी दादी और माँ का भी यही कहना है
अपने परदेशी नाती-पूतों को देखना है
आकर घर हसरत उनकी पूरी करना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहिना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना

खेती-पाती में अब लोगों का मन कम लगता है
गाँव में रहकर उन्हीं शहर का सपना दिखता है
उजडे घर, बंजर खेती आसूं बहा रहे हैं
कब सुध लोगे देख आसमां पुकार रहे हैं
आकर अपनी आखों से हाल देखते जाना
राह ताक रही है तुम्हारी प्यारी बहिना
अबकी बार राखी में जरुर घर आना
(हरीश बिष्ट )

Monday, August 3, 2009

रक्षा-बंधन(राखी)


रक्षा-बंधन(राखी)
सावन के महीने में आकर राखी.
अपना रंग दिखाती राखी.!!
भैया के हाथो में सजकर
रह-रह कर इठलाती राखी!!
रंग बरंगे नीले-पीले
फूलो की प्यारी राखी!!
मोटी और मानियो से साजजीत
रेशम की न्यारी राखी!!
मेरी सभी बहने
सजधजकर लाती राखी!!
दो दागो का पावन बंधन
चीर बंधन कहलाती राखी!!
थाली बीच सजाकर राखी
यह वीस्वाश देलाती राखी!!
करेगा भैया बहन की रक्छा
चोक बनाकर घर में सुंदर
यह वीस्वाश देलाती राखी!!

''हरीश बिष्ट''