Saturday, May 22, 2010

पहाड़ मैं होगा सब पहाडी , एक होगा पैदा ऐश पहाडी !



पहाड़ मैं होगा सब पहाडी , एक होगा पैदा ऐश पहाडी !
फिर न कही अँधेरा मैं होगा अपना पहाडी , सूरज उगेगा मेरे पहाडी वैभव का
पहाड़ का घर-घर अपना फेरा होगा, एक होगा पैदा ऐश पहाडी !!

पहाडी बोली की होगी अपनी बस्तिया , चमकता हुवा हर पहाडी चेहरा होगा !
प्रहरी सुख पहाड़ का घेरा अपना होगा , हर गुज मैं गुजेगा पहाडी अपना होगा !!
हर जुबान पै पहाड़ का पहाडी नारा होगा , उन्नति -प्रगति मैं अपना पहाडी होगा !

तब सुंदर उत्तराखंड पहाड़ हमारा अपना होगा , जब महकेगा पहाडी का पाणी , माटी!
उस दिन धन्य होगा पहाड़ का अपना पहाडी , हर होगा ऐश अपना पहाडी
जिस से धन्य होगा अपना सब पहाडी , जल्दी पैदा होगा अपना पहाडी !!

जय पहाडी भूमि के म्यएर सत सत नमन छु , हर पहाडी जुबान पै पहाड़ लिजी नमन छु
अब हमर पहाड़ ले आपुड़ मैं मग्न छु , हिन्दुतान मैं आपु मैं उ चमन छु पहाडी !!

पहाड़ मैं होगा सब पहाडी , एक होगा पैदा ऐश पहाडी !
फिर न कही अँधेरा मैं होगा अपना पहाडी , सूरज उगेगा मेरे पहाडी वैभव का
पहाड़ का घर-घर अपना फेरा होगा, एक होगा पैदा ऐश पहाडी !!

पहाडी बोली की होगी अपनी बस्तिया , चमकता हुवा हर पहाडी चेहरा होगा !
प्रहरी सुख पहाड़ का घेरा अपना होगा , हर गुज मैं गुजेगा पहाडी अपना होगा !!
हर जुबान पै पहाड़ का पहाडी नारा होगा , उन्नति -प्रगति मैं अपना पहाडी होगा !

तब सुंदर उत्तराखंड पहाड़ हमारा अपना होगा , जब महकेगा पहाडी का पाणी , माटी!
उस दिन धन्य होगा पहाड़ का अपना पहाडी , हर होगा ऐश अपना पहाडी
जिस से धन्य होगा अपना सब पहाडी , जल्दी पैदा होगा अपना पहाडी !!

जय पहाडी भूमि के म्यएर सत सत नमन छु , हर पहाडी जुबान पै पहाड़ लिजी नमन छु
अब हमर पहाड़ ले आपुड़ मैं मग्न छु , हिन्दुतान मैं आपु मैं उ चमन छु पहाडी !!

bishtb50@gmail.com
Bisht G
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Friday, May 21, 2010

तेरी गोद मैं सोना है मुझे पहाड़,जी भर के रोना है पहाड़

तेरी गोद मैं सोना है मुझे पहाड़ . जी भर के रोना है पहाड़
तू सुला दे मुझे अपने आचल की छाव मैं पहाड़
तू है मेरा  सुकून मुझे वही रहना है तेरे पाउ मैं पहाड़ !!!

मुझको बचपन का मासूम फ़रिश्ता याद देगी तेरी गोद
जो ना जाने ज़माने मैं किशी आपने का बोझ
तू सुला दे मुझे नींद वैसी फिर अपनी गोद पहाड़
अब और गम नहीं सहना है मेरे अपना पहाड़

तेरे सीने से लग कर हलका होगा मेरा  गम एक दम
तेरी यादु में  पहाड़ मुझे मिलेगा अपना बचपन का जन
तेरी हवा मेरी दवा है तेरी ही हम पर दया का एक अंस
तेरे ही पास ही मेरे अपना है जीवन का एक छण  भर !!!

मैं तरसता रहा तेरी गोद के लिए पहाड़
तेरी कलकल छाऊ को .. तेरी घास को , तेरी हर लहराती ब्याव को पहाड़
तेरी ही अमानत से जन्नत का खिलौना है मेरे पहाड़ !!!

है ये दुःख जहा देता है रोज़ दर्द के कुछ घाऊ
मैं भुला  ना कहा सुकून  मिलता है पहाड़ सकुन
तुझसे दूर हो गया हूँ तो हर कोई ठोकर लगा रहा है मुझे
मैं बहुत रूट गया हु , मुझे बुला ले अब अपने पहाड़ !!!

मैं अब रुक ना सकू चलते चलते इन ज्ख्मु पर
दर्द होता है ज्ख्मु पर मलहम लगा  दे अपना पहाड़
जल्दी से बुला ले तू पहाडी को उस का अपना पहाड़
वो दोडा-२ कर आएगा अपना पहाड़ ......................

म्यर पहाड़ ........................वार पार म्यर पहाड़


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