Thursday, July 2, 2009

कुछ दिन पैली देखी


कुछ दिन पैली देखी
एक कौतिग, नेहरू स्टेडियम की छोटी पाह्डियो पर पाह्डियो को,
ढोल दमौ , गीत प्रीत , मिठै सिठै,
सब्बि- सुणी, करी, चाखी छै /
पर ह्वैगी छै बिसर्या जमाना की बात,
याद छा त नार्थ ब्लाक अर गुलाबीबाग का बस स्टैड,
यस सर अर यूवर्स फेथ्फुल्ली का बीच,
पहाडी कख हरची ,
मेरा छैल तै बि पता नि लगी
कखी अन्ज्वाल (डन्ड्रियाल ) पढी
जग्वाल (पारू) देखी
अर्ध्ग्रामेश्वर (धस्माना) करी
पर बिज्ल्वाण नि मिली-
कौतिग मा मिन देखी
बिकट दन्दालो
बरसों कि बिस्म्रती को घास
स्यू जल्डो भैर आये
तब देखेणी पाअड
अफू से भैर आइक मिन देखी त हकाणै ग्यो मि,
येकुला चणा अर भड्भूजा का भाड कि कथा अबारे हि सच होणी थै
पहाड़ त सब दिल्ली ऐगे, फिर मे यकुलु वापस,
तबारे धरे कैन मेरा कान्ध ऐच हाथ,
यु मै हि थौ अप्णू सान्स अफ्वी बधौणू
पाड त फैल जालो दुनिया मा
पाअड मा रै नि रै पर जुडियु रै रे जल्डो से
मी आज भी जुड़यूँ छौ पहाड़ से मेरा पहाड़ से ||

माया बण्गे तेरी जी को जन्जाल


बौडी औ दग्डया हुवै गै बतेरी जगवाल
थामे नि थमैदो मन को उमाल
घास अर लाख्डू कान्डो का बोण
दिन डसदू सुर्म्यालो घाम रात डस्दी जोन
माया बण्गे तेरी जी को जन्जाल - बौडी औ------
सौन्ज्ड्यो दगड जब जान्दी दग्ड्याणी,
चैत्वाली बयार डाण्ड्यो जब रन्दी बयाणी
तिसू तिसू तिसि चोली जब कखी भट्याणी
दिल मा उठ्दी हूक मेरा कानू बज्दी धूयाल - बोडी औ
नथुली बुलाक झ्यूरी मेरी कन करोदा खौलि मेरी
जुडी दथी घास घ्सेरी सबि पुछ्दा बात तेरि
झ्ट्प्ट घर आवा कि मै तख बुलावा
नि कट्दु यखुलि बस्ग्याल --- बौडि औ

Monday, June 29, 2009

चैत का मैना दिशा भेट होली




बारा मैनो की बारामास गायी
घगरी फटीक घुंडियों माँ आयी २

चैत का मैना दिशा भेट होली
तेरी ब्येटुली ब्वे डब डब रोली
बैसाख मैना कोथीग कुरालु
बिना स्वामी जी का प्राण झुरोलू
बारा मैनो की.....

जेठ का मैना कोदू बूती जालू
मेरी पुन्गरियों ब्वे कु बूती आलु
आषाढ़ मैना कुयडी लोकैली
बिना स्वामी जी का कनु के कटीली
बारा मैनो की.....

सोंड का मैना कूडो चुयालो
जो पाणी भैर, भीतिर भी आलो
भादो का मैं संगरांद आली
मेरु कु च ब्वे जु मैत बुलाली
बारा मैनो की.....

अशूज मैना शरद भी आला
पितर हमारा टुक टुक जाला
कार्तिक मैना बग्वाल आली
स्वामी जौंका घौर पकोडा पकाली
बारा मैनो की.....

मंगसीर बैख ढाकर जाला
मर्च बिकैक गुड ल्वोन ल्योला
पूष का मैना झाडु च भारी
बिना स्वामी कि कु होली निर्भागी नारी
बारा मैनो की.....

माघ मॉस बीच मकरेण आली
कन होली भग्यान जु हरद्वार जाली
फागुण मैना होरी खिलेली
रसीला गीतों सुणी जिकुडा झुरोली
बारा मैनो की.....

बारा मैनो की बारामास गायी
घगरी फटीक घुंडियों माँ आयी २

"छट्ट छुटिगि प्यारु पहाड़"


"छट्ट छुटिगि प्यारु पहाड़"

छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदौं,
ऊ प्यारु पहाड़-२
जख छन बाँज बुराँश,
हिंसर किन्गोड़ का झाड़-२

कूड़ी छुटि पुंगड़ि छुटि,
छुटिगि सब्बि धाणी,
कखन पेण हे लाठ्याळौं,
छोया ढ़ुँग्यौं कू पाणी.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

मन घुटि घुटि मरिगि,
खुदेणु पापी पराणी,
ब्वै बोन्नि छ सुण हे बेटा,
कब छैं घौर ल्हिजाणी.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

भिन्डि दिनु बिटि पाड़ नि देखि,
तरस्युं पापी पराणी,
कौथगेर मैनु लग्युं छ,
टक्क वखि छ जाणी.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदौं.....

बुराँश होला बाटु हेन्ना,
हिंवाळि काँठी देखणा,
उत्तराखण्ड की स्वाणि सूरत,
देखि होला हैंसणा.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

दुःख दिदौं यू सब्यौं कू छ,
अपणा मन मा सोचा,
मन मा नि औन्दु ऊमाळ,
भौंकुछ न सोचा.
छट्ट छुटिगि सुणा हे दिदों.....

जनु भी सोचा सुणा हे दिदौं,
छट्ट छुटिगि, ऊ प्यारु पहाड़,
जख छन बाँज बुराँश,
हिंसर किन्गोड़ का झाड़

घुट घुट बाडुली लगीं च


घुट घुट बाडुली लगीं च
मैत्यों कू रैबार आयूं च
भादों का मैना दुभ्री पाती कू त्यौहार आयूं च.!
कोदा झंगोरा की सार भी भरी गी होली
काखड़ी मूंगरी भी लगी गी होली
कब जौलू कब खौलू
मन माँ उलार आयूं च.!

बारे मासी काम द्यानियों नि छूटेंदु
बरसू का नक् कभी मैत नि जयेन्दु
मैना दू एक मैत रौलू
मन माँ विचार आयूं च .!

बरखा की रडी जड़ी माँ
घास पात का बण
घनघोर कुरेडी माँ
रोई रोई रण
बुझ्याँ बुब्दाल्यान मन माँ
आज यु प्यार आयूं च
घुट घुट बाडुली लगीं च
मैत्यों कू रैबार आयूं च ..!!