Friday, November 12, 2010


:) आज उत्तराखंड का शिक्षित युवा वर्ग रोजगार का आभाव म अपनी जन्मभूमि सी
पलायन करणा कें मजबूर छ ,करण केवल एक रोजगार का साधनों की कमी | मैं कखी
पढ़ी थोऊ की पिछला 10 वर्षु मा पहाड़ सी 12 लाख सी भी ज्यादा लोग पलायन
करी ग्येन | निरंतर पलायन सी विकास पर असर पड़ण लग्य्नु छ अगर हम केवल
सांसद तथा विधायक निधि पर विशेषण करू त ये वजह सी पर्वतीय क्षेत्र थैं
लगभग १६ करोड़ रूपए सालाना नुकसान होनु चा । ई औसत सी प्रदेश की 4 हजार
करोड़ की मानक विकास योजना कि बात करी जाए त पर्वतीय क्षेत्र थैं साल भर
माँ 30 करोड़ रूपयों की हानि होणि चा । निरंतर पलायन सी असर जनसँख्या पर
भी पड़ी और हमारा राज्य मा जह्संख्या का हिसाब सी आठ विधान सभा की सीट कम
ह्वै ग्येन | लगभग 40 करोड़ रूपये की वार्षिक विधायक निधि जू की यौं आठ
विधानसभा सीटो थीं मिलदी वै सी हम सबी वंचित ह्वै गयौं | पहाड़ सी पलायन
कु असर पर्वतीय क्षेत्रो थैं मिलण वाळी योजनाओ पर भी पड़लू | हालाकि
मैदानी क्षेत्रो मा कुछ बड़ा उधमियो न अपना प्लांट स्थापित जरुर करी छन
परन्तु तब भी पहाड़ का युवाओ थैं रोजगार का अवसर अभी भी गिन्या -चुन्या छन
| जरुरत च एक मजबूत निति बनौन की जैसी उत्तराखंड का मूल निवासियों कें वखि
रोजगार मिलो और पहाड़ का लोग पलायन का वास्ता मजबूर न हो सक्या......