उत्तराखंड के एक गोँव में,
अकेली माँ,
इन्तजार में है अपने बेटे की,
क्योंकि जिसे उसने,
बचपन में पाल पोसकर,
पढाया लिखाया,
कामयाबी की राह में,
आगे बढाया,
लेकिन एक दिन,
जवान होने पर,
वह उसकी आँखों से,
दूर चला गया,
रोजगार की तलाश में.
कैसी कसक है उसके मन में,
जिसे उसने बुढापा का सहारा समझा,
आज दूर है उससे,
लेकिन कासिस उसके मन में भी है,
माँ से दूर होने की.
वक्त निकालकर जब वह जाता है गाँव,
तो माँ से मिलने पर छलक जाते हैं,
माँ की आँखों में आंसू.
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Bisht G