Saturday, June 19, 2010

हमारा प्यारा उत्तराखंड

                                                     हमारा प्यारा उत्तराखंड

यह समुदाय सभी उत्तराखंड  के निवासियों, मूल-निवासियों तथा इससे संबंधित सभी व्यक्तियों के लिए है। इस समुदाय को बनाने का उदेश्य (सभी उत्तराखंड  के निवासियों ) के सभी निवासियों में संपर्क बढ़ाने, विचार तथा ज्ञान विनिमय आदि है। यहाँ पर आप आप सब अपने बारे में तथा  (सभी उत्तराखंड  के निवासियों,उत्तराखंड ) के बारे में बातें शेयर कर सकते हैं। -'

'जननी जन्म भूमिस्च, स्वर्गादपि गरीयशी''

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Bisht G
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Thursday, June 17, 2010

औरो तै देखा देखी मी भी, पुडीग्यो ये जंजाल मा

औरो तै देखा देखी मी भी, पुडीग्यो  ये  जंजाल   मा
रुप्या पाणि खत्म हवेगेन, बणि ग्यो मी कन्गाल हां - २
डयुटि बटि जब औन्दु घौर, ब्वारि पुडि छ खाट मा
कभी कपाल, कभी टन्गडु, कभी दर्द पेट मा
कभी दर्द पेट मा (कोरस) - २

ब्यो सि पहली स्वर्ग समान, लगदु ये संसार मा
छ्त्यानाश हवेगे अब ता, कजांण क औण मा - २
ब्यो करि तै सोची मीन रौलू, सुख चैन मा
और जादा मुन्डारु हवेगे, यी सरु का औण मा
यु सरु का औण मा (कोरस) - २

डयुटी बटि जब औन्दु देर सी, खाणु बणाणु रात मा
ब्वारी बिचारि ताणिक सियी, वीतै किलाणु हाथ मा - २
सासू ब्वारी कि हवायी लडायी, तब ल्यो मी साथ मा
जू भी सपना देखी छ मीन, सब मिली गे राख मा
सब मिली गे राख मा (कोरस) - २

ब्यो करि तै पछ्तै ग्यो मी, हवेगेन यु हाल हां
डाक्टरो कु चक्कर काटी, मुरिग्यो मी ये साल मा - २
भाड मजान्दू कपडा धोन्दू, कै मा ना तुम बुल्यान
जन मेरा हाल हुया छ्न, तन कैक ना हुयान
तन कैक ना हुयान (कोरस) - २

नयी सुट साडी-बिलोज, लेन्दु हर तन्खवा मा
अपण ईन हाल हुया कि, दिन कटणु छ थिगलो मा - २
औरो तै देखा देखी मी भी, पुडी ग्यो ये जंजाल मा
रुप्या पाणि खत्म हवेगेन, बणि ग्यो मी कन्गाल हां
बणि ग्यो मी कन्गाल हां (कोरस) - २
बणि ग्यो मी कन्गाल हां, बणि ग्यो मी कन्गाल हां
बणि ग्यो मी कन्गाल हां,बणि ग्यो मी कन्गाल हां...................
 
(अपनी बोलि अर अपणी भाषा क दग्डी प्रेम करल्या त अपणी संस्कृति क दगड जुडना मा आसानी होली)

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