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काला डांडा के पीछे बाबा जी
काली च कुएड़ी
बाबाजी, एकुली मैं लगड़ी च ड..र
एकुली-एकुली मैं कनु कैकी जौलो
भावार्थ
एक लड़की अपने ससुराल जा रही है!
लेकीन उसका मन गबरा रही है !
और वो मन ही मन में कुछ इस तरह सोच रही है.........
काली च कुएड़ी
बाबाजी, एकुली मैं लगड़ी च ड..र
एकुली-एकुली मैं कनु कैकी जौलो
भावार्थ
एक लड़की अपने ससुराल जा रही है!
लेकीन उसका मन गबरा रही है !
और वो मन ही मन में कुछ इस तरह सोच रही है.........
--' काले पहाड़ के पीछे, पिताजी!
काला कुहरा छा रहा है ।
पिताजी, मुझे अकेले में डर लगता है ।
अकेले-अकेले मैं ससुराल कैसे जाऊंगी ?
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