तेरी गोद मैं सोना है मुझे पहाड़ . जी भर के रोना है पहाड़
तू सुला दे मुझे अपने आचल की छाव मैं पहाड़
तू है मेरा सुकून मुझे वही रहना है तेरे पाउ मैं पहाड़ !!!
मुझको बचपन का मासूम फ़रिश्ता याद देगी तेरी गोद
जो ना जाने ज़माने मैं किशी आपने का बोझ
तू सुला दे मुझे नींद वैसी फिर अपनी गोद पहाड़
अब और गम नहीं सहना है मेरे अपना पहाड़
तेरे सीने से लग कर हलका होगा मेरा गम एक दम
तेरी यादु में पहाड़ मुझे मिलेगा अपना बचपन का जन
तेरी हवा मेरी दवा है तेरी ही हम पर दया का एक अंस
तेरे ही पास ही मेरे अपना है जीवन का एक छण भर !!!
मैं तरसता रहा तेरी गोद के लिए पहाड़
तेरी कलकल छाऊ को .. तेरी घास को , तेरी हर लहराती ब्याव को पहाड़
तेरी ही अमानत से जन्नत का खिलौना है मेरे पहाड़ !!!
है ये दुःख जहा देता है रोज़ दर्द के कुछ घाऊ
मैं भुला ना कहा सुकून मिलता है पहाड़ सकुन
तुझसे दूर हो गया हूँ तो हर कोई ठोकर लगा रहा है मुझे
मैं बहुत रूट गया हु , मुझे बुला ले अब अपने पहाड़ !!!
मैं अब रुक ना सकू चलते चलते इन ज्ख्मु पर
दर्द होता है ज्ख्मु पर मलहम लगा दे अपना पहाड़
जल्दी से बुला ले तू पहाडी को उस का अपना पहाड़
वो दोडा-२ कर आएगा अपना पहाड़ ............... .......
तू सुला दे मुझे अपने आचल की छाव मैं पहाड़
तू है मेरा सुकून मुझे वही रहना है तेरे पाउ मैं पहाड़ !!!
मुझको बचपन का मासूम फ़रिश्ता याद देगी तेरी गोद
जो ना जाने ज़माने मैं किशी आपने का बोझ
तू सुला दे मुझे नींद वैसी फिर अपनी गोद पहाड़
अब और गम नहीं सहना है मेरे अपना पहाड़
तेरे सीने से लग कर हलका होगा मेरा गम एक दम
तेरी यादु में पहाड़ मुझे मिलेगा अपना बचपन का जन
तेरी हवा मेरी दवा है तेरी ही हम पर दया का एक अंस
तेरे ही पास ही मेरे अपना है जीवन का एक छण भर !!!
मैं तरसता रहा तेरी गोद के लिए पहाड़
तेरी कलकल छाऊ को .. तेरी घास को , तेरी हर लहराती ब्याव को पहाड़
तेरी ही अमानत से जन्नत का खिलौना है मेरे पहाड़ !!!
है ये दुःख जहा देता है रोज़ दर्द के कुछ घाऊ
मैं भुला ना कहा सुकून मिलता है पहाड़ सकुन
तुझसे दूर हो गया हूँ तो हर कोई ठोकर लगा रहा है मुझे
मैं बहुत रूट गया हु , मुझे बुला ले अब अपने पहाड़ !!!
मैं अब रुक ना सकू चलते चलते इन ज्ख्मु पर
दर्द होता है ज्ख्मु पर मलहम लगा दे अपना पहाड़
जल्दी से बुला ले तू पहाडी को उस का अपना पहाड़
वो दोडा-२ कर आएगा अपना पहाड़ ...............
म्यर पहाड़ ...............
bishtb50@gmail.com
Contt....9999451250
5 comments:
Bahut badhiya likha hai ji
Dil ko chhu gaya
क्या बात है बिष्ट जी पहाड़ हम लोगो को इस उम्र में बहुत याद आता है ना आप ने तो पूरा बचपन का लेखा जोक ही सूना दिया ..............................इस प्रदेश में बहुत याद करता हु में अपने पहाड़ को
bisht ji bhuat acha lika hain apnay,dhanybad apka
Nice well said dada ...............Keep it up
Very NICE Realy Meant it...
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