Thursday, June 24, 2010


"अपने पहाड़ों ने आवाज़ दी है...

कि आ तू फिर लौट आ
बुलाते हैं सूने घर-आँगन
खाली खेत-खलिहान
दाडिम का पेड़

खाली पगडंडियाँ
इंतज़ार करती उस मुसाफिर का
जो चला तो गया
इस खोखले वादे के साथ
कि वो लौट आएगा एक दिन "


-- Bisht G
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