Tuesday, March 15, 2011
बुरा ना मानो होली है
प्रेम राग से हरी भरी , रंगों की अठखेली है , आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मानो होली है बच्चो की टोली , रंग रंगीली , लहर लहर लहराती , हाथो में पिचकारी ले , सबको रंग लगाती , गुब्बारों में पानी भरकर, लोगों को वो डराती , खुलकर जी लें फिर से सब कुछ , प्रेमानंद की डोली है , आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मानो होली है मोह्हले के चौराहों से , फाग गीत जब गाते , नगाड़ों की धमक धमक से , बैर द्वेष मिट जाते , एक सूत्र में पिरोती सबको , गजब निराली बोली है , आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मानो होली है गुजिया का वो मधुर स्वाद , तरह तरह के भोग पकवान , आते हैं अब बड़े याद, वो सब तो यंहा नहीं , बस वही भांग की गोली है , आओ रंग लगाये सबको , बुरा ना मनो होली है रंग नहीं चढ़ते जन पे, पुच धर्म और जाती , ठंडी ठंडी ठंडाइ सबको ठंडक पहुंचाती , क्यों हम व्यर्थ उलझे फिर , संकीर्ण विचारों की झोली में , प्रेम रंग में रंग दे सबको , इस फागुन की होली में
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