Thursday, July 22, 2010
"माँ के नाम"
कहते है माँ तेरी सुरत भगवान के जैसी होती है सूखे में रखती है मुजको खुद गीले में सोती है तेरा ये कर्ज दूध का में कभी उतार न पाऊंगा चोट जरा भी लगती मुझको आँखे तेरी रोती हैं तेरी जिव्हा से बोलता हु, चलता हु तेरे कदमो से मेरे दिल में तेरी धड़कन है, तू नैनो कि ज्योति है घर खाने कि कोई चीज तू सबसे बाद में खाती है समझो तो गहरे हैं मायने, वर्ना बात बहुत ही छोटी है जिस पल तेरा दिल दुखाया इस नालायक बेटे ने तेरी आँख से गिरा है जो हर इक आंसू मोती है कोख में अपने खून से सींचा, जब गोद में आया दूध पिलाया जीवन से क्या पाया तूने तू तो सदा ही खोती है में मूरख अज्ञानी तेरा मन समझ नहीं पाता हु में नफरत कि बंजर भूमि , तू बीज प्यार के बोती है तू प्रेम कि बहती गंगा तेरा रूप क्या समझेगा कोई तू ही मरियम तू फातिमा तू कभी यशोदा होती है सच कहते है तेरी सूरत भगवान् के जैसी होती है सूखे में रखती है मुजको खुद गीले में सोती है!
-- Bisht G
Contt:- 9999 451 250
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