Tuesday, July 20, 2010


मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, हे कुलै की डालि

कखि तिन मेरि आख्यूं का सुपिन्या, देखि त नि यालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, हे कुलै की डालि
कखि तिन मेरि आख्यूं का सुपिन्या, देखि त नि यालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू

त्वै मां बोदु हे दगड़िया, मन की गैंड़ खोलि, त्वै मां बोदु हे दगड़िया, मन की गैंड़ खोलि
ब्योला बणि वो सुपिन्या मां आई, तू कैमां ना बोलि
छुंयाल घसैलि सुणालि- छुंयाल घसैलि सुणालि, बात फैलि जालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, हे कुलै की डालि, मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू…..

हे घुघति, घिन्दुड़ि, हे हिलांसि, तू भी भुलि ना जैई, हे घुघति, घिन्दुड़ि, हे हिलांसि, तू भी भुलि ना जैई
मुण्ड बदौणु मेरा ब्यो मां दगड़्या, टक्क लगै की ऐई
न्यूंति बुलोंलु, पुजि पठ्यौंलु – न्यूंति बुलोंलु, पुजि पठ्यौंलु, मिन पैलि बोल्यालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, हे कुलै की डालि, मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू…..

कुतग्यालि सि लगणि तन-मन मां, सोचि सोचि लाज, कुतग्यालि सि लगणि तन-मन मां, सोचि सोचि लाज
घासन क्यैकि पूरी ह्वैनि, गैठ्याई डांनि आज
सैरि दुन्या अपणी ह्वै ग्याई-सैरि दुन्या अपणी ह्वै ग्याई, बिराणी छै जा ब्यालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, हे कुलै की डालि, मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू…..

सासु मयैल्यू मेरि ससुरा जी द्याब्ता, भलि-भलि नणद जेठाणि,सासु मयैल्यू मेरि ससुरा जी द्याब्ता, भलि-भलि नणद जेठाणि
बिसरि ना ज्यूं त्वै यना सैसुर में, दगड़्या बुरु ना मानि
भाग मां होलु चा नि होलु – भाग मां होलु चा नि होलु, सुपिन्या त देखि यालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू, हे कुलै की डालि, कखि तिन मेरि आख्यूं का सुपिन्या, देखि त नि यालि
मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू……।


रे चीड़ की डाली तू ऐसे मन्द-मन्द क्यूँ मुस्कुरा रही है, कहीं तूने मेरी आंखों में तैर रहे सपने देख तो नहीं लिये हैं? अरे अब मैं तुझ से क्या छुपाऊं, मैं अपनी दिल की गांठ अब तेरे सामने खोल ही देती हूँ. कल “वो” दूल्हा बन कर मेरे सपने में आये थे, लेकिन तू यह बात किसी को बताना मत। अगर यह बात घास काटने वाली बातूनी महिलाओं ने सुन ली तो यह बात फैल जायेगी।

जंगल में पाये जाने वाली विभिन्न प्रकार के पक्षियों को संबोधित करते हुए युवती कहती है – हे घुघुती, हे घिन्दुड़ी, हे हिलांसी तुम लोग भी भूलना नहीं। मैं तुम सब को न्यौता भिजवाउंगी, तुम सब मेरी शादी में जरूर आना।

मेरे तन-मन में हल्की गुदगुदी सी लग रही है, और यह सब सोच-सोच कर मुझे शरम भी आ रही है। कल तक जो दुनिया पराई थी वो आज अचानक अपनी सी लगने लगी है। मैने सपने में देखा कि मेरी सासू जी बहुत प्यार करने वाली हैं और ससुर जी तो देवता समान हैं, ननद-जेठानी भी अच्छी हैं। अब ऐसे ससुराल में जाकर अगर में तुम सब साथियों को भूल भी जाऊं तो आशा है कि तुम लोगों को बुरा नहीं लगेगा। अब यह सब बातें सच होंगी या नहीं, क्या पता? लेकिन मैने सपना तो देख ही लिया है।


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Bisht G
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