Thursday, July 14, 2011

नैनादेवी के नाम पर पडा नैनिताल


नैनादेवी के नाम पर पडा नैनिताल। बैरन नामक एक अग्रेज ने इस हील स्टेशन कि खोज कि, वो इतना आकर्षित हुआ कि १८४१ में नैनीताल शहर का निर्माण शुरू हो गया। सबसे पहले बैरन ने अपने लिए एक कोठी बनायी। इसके बाद कुमांऊ के तत्कालीन कमिश्नर लाशिंगटन ने १८४१ में अपने लिए एक कोठी का निर्माण करवाया। नैनीताल तीन ओर पहाड़ों से घिरा है, बीच में झील है। इसका अर्थ है नैनी झील के चारो और शहर बसा है। पुरा नैनिताल वन पहाड़ियों से घिरा हुआ है। १८६७ में शेर का डांडा और १९ सितंबर १८८० को विक्टोरिया होटल के पास भीषण भूस्खलन हुआ। इसमें १५१ लोग मारे गए। मरने वालों में ४३ विदेशी नागरिक भी थे।


रामप्यारी के ब्लोग मे जो क्लु दिया गया है वह हॉकि का मैदान है (नैनिताल)। ठिक उसके पिछे सुन्दर मस्जिद है। इस मैदान मे राम प्यारी के ब्लोग मे LIC OF INDIA का विज्ञापन दिखाई पड रहा है वो अब हटा दिया गया है अब STATE BANK OF INDIA का विज्ञापन ट्न्गा हुआ है। नैनीताल उत्तर प्रदेश के तत्कालीन ग्रीष्मकालीन राजधानी है। प्रर्यटक साफ सफाई का ध्यान नही देने कि वजह से गन्दगी भी दिख जाती है। आबादी बढने के कारण पहाडियो एवम पेडो कि कटाई ने नैनिताल के रुप को नुकशान पहुचा है। अब वो दिन दुर नही जब इन्ह हिल स्टेशनो मे पखे लग जाऐ। कृपया प्रकृति को बचाओ ताकि हमारी भावी पीढी भी इन्ह खुबसुरत वादियो के नजारे को देख सके।
प्रकृति के साथ हम खिलवाड करेगे तो प्रकृति हमे माफ नही करेगी। हम सभी को इसका खामियाजा भुगतना पडेगा।

-- Bisht G

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