भोत कुछ ह्वैगी भुला कैन बोली कुछ नि ह्वै
सभी देखण लग्यां पैली क्या थो, अब क्या ह्वै
घी दूध न मुख लुकैली
सब डालडा खाना
पैली काखी नि जांदा था
अब भैर बी खाना
दयाधर्म कम और भ्रष्टाचार सीवे, कैन बोली कुछ नि ह्वै
पाणी सुखिगे पर
नल बिछांया
गिलास काखी नि रै
अब प्याला लांया
भीतर फुंड कुछ नि पर
भैर खूब सज्याँन
पैली गों मा कम था
अब ज्यादा रज्याँ
मम्मी डैडी लैगी बोलन, क्वी नि बोल्दु बई, कैन बोली कुछ नि ह्वै
पैली मनखी का खातिर
मनखी था मरणा
अब मनखी देखि
मनखी डरना
अस्पताल खुलीगे
धडाधड गोली खाना
क्वी बचण लग्याँ
क्वी मरी जाणा
कखी नि रै अब बैदु की दवई, कैन बोली कुछ नि ह्वै
गों वाला लाख्डा पाणिक रोणा
विकास का नौ पर उद्घाटन होणा
पर छोरा सरा-सर भैर भागणा
कखी सुखी धार मा बिजली कु उजालू जग्णु
पर निस बीटी माटु सफा बग्णु
डाला फंडा कटे दिनी
अब डाला लाणा
पैली कट दारों न खाई
अब लगान वाला खाना
पर नयां डाला कखी नि दिखेना, कुजाणी क्या ह्वै, कैन बोली कुछ नि ह्वै .
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