Thursday, February 24, 2011

जाग जाग जाग ज्वान वक्त सेण को नि छ ज्वानी को उमाल फिर दुबारा औण को नि छ

जाग जाग जाग ज्वान वक्त सेण को नि छ ज्वानी को उमाल फिर दुबारा औण को नि छ डांडी-कांठी उदंकार ह्वेगी नींद छोड़ दे आज ये समाज तै एक नयो मोड़ दे राग- द्वेष भेद भाव आज देश को मिटो एक बार गाँधी को स्वराज शंख फिर बजोऊ जात-पांत पंथ प्रान्त का सवाल सब हतोऊ नई पीढ़ी की नांग भूख कम से कम तू अब मिटो एक खून एक प्राण मनखी-मनखी सब समान एक सूर्य एक चन्द्र एक धरती आसमान एक नेक ह्वैक आज एक बात तू सुणो देश तेरु छ अगाडी जनु तू चांदी तनु बनौ.....

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